(जैसे पक्षीगण वृक्ष का आश्रय लेते हैं, नदियाँ समुद्र का आश्रय लेती हैं और युवतियाँ पति का आश्रय लेती हैं, उसी तरह सभी गुण काँचन का आश्रय लेते हैं।)