VigyapanSuchana

June 1958

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धूर्तों से सावधान

राजस्थान की अनेक शाखाओं से सूचना प्राप्त हुई है कि कुछ स्त्रियाँ तथा रंगीन कपड़े पहने हुए लोग गायत्री महायज्ञ मथुरा के लिए चन्दा इकट्ठा करते फिरते हैं। यह अपने को मथुरा का निवासी बताते हैं। दान-पेटी साथ रखते हैं जिन पर गायत्री महायज्ञ लिखा हुआ है।

सर्वसाधारण को सूचित किया जाता हैं कि तपोभूमि से कोई स्त्री-पुरुष कहीं भी चन्दा इकट्ठा करने नहीं भेजे गये, न ऐसा करने की तपोभूमि की कोई नीति ही है। ऐसे लोगों को धूर्त समझना चाहिए और उन्हें तुरन्त पुलिस के सुपुर्द कर देना चाहिए।

इस प्रश्न का एक पहलू और है कि किस कलायुक्त रचना को हम श्रेष्ठ कहें और किसे इसके विपरीत समझें। इसका एकमात्र उत्तर यही हो सकता है कि वह अधिक से अधिक विभिन्न रुचि वाले, नीचे, ऊँचे तथा बहुत ऊँचे दर्जे के व्यक्तियों को आनन्द प्रदान कर सके। निकृष्ट कला थोड़े से ही व्यक्तियों को आनन्द दे सकती है। यह बात भी सत्य है कि रुचि भेद के अनुसार किसी को कुछ पसन्द आता है और किसी को कुछ। श्रेष्ठ कला विभिन्न रुचि वालों को समान नहीं तो कुछ कम-ज्यादा परिभाषा में तृप्ति ही देगी।


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