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May 1955

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धैर्यवान्—वह है जो सुख, दुख, धन क्षीणता और वृद्धि में सामान्य रहता है।

विचारवान—वह है जो अपने अवगुणों और दूसरे के गुणों को याद रखता है और कोई वचन बिना समझे मुख से नहीं निकालता।

ज्ञानी—वह है जिसके मन में संसार के सुख, दुख से विकार उत्पन्न नहीं होता तथा जो सत् असत् का ज्ञाता हो।

बलवान्—वह है जो इन्द्रियों के प्रबल वेग को रोके।

रूपवान—वह है जो विद्या, नम्रता, लज्जा, सत्य, शीलता और धर्म के सद्गुणों से अलंकृत हो।

बुद्धिमान्—वह है जो समय का रंग देखकर काम करे।


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