मनुष्य अनेक अभिमानों में मस्त रह कर प्रभु से विमुख बनता है। अभिमान एक प्रकार का बुखार है उसे उतारे बिना आध्यात्मिक स्वास्थ्य लाभ नहीं हो सकता।