रामायण में यज्ञ—चर्चा

July 1955

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रामायण में यज्ञ की महत्ता का विशद् रूप से वर्णन है। दशरथ जी के चारों पुत्रों का जन्म पुत्रेष्टि यज्ञ द्वारा होता है। भगवान राम अपने अवतार का श्रेय यज्ञ भगवान को ही देते हैं। यज्ञ ही रामावतार का जनक है। पुत्र की इच्छा से प्रेरित होकर दशरथ जी ने पुत्रेष्टि यज्ञ किया और उन्हें अभीष्ट सत्परिणाम की प्राप्ति हुई इसका वर्णन तुलसी कृत रामायण में इस प्रकार मिलता है—


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