न इतने कठोर बनो कि लोग तुम से डरने लगें और न इतने कोमल कि सिर चढ़ें।
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पढ़ कर उसे कार्य रूप में परिणित नहीं करना जमीन जोतकर उसमें बीज न डालने के समान है।
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अगर कोई बुद्धिमान मूर्खों के साथ वाद विवाद करे तो वह अपनी प्रतिष्ठा की आशा न रखे।
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जो कुछ करो नियमानुसार करो, जो कुछ कहो ठीक-ठीक कहो, और जो कुछ सोचो युक्तिपूर्वक सोचो।