अगर तुम शरीर की रक्षा करना चाहते हो तो मन की रक्षा करो, अगर तुम शरीर को जीवन देना चाहते हो तो मन को सुन्दरता दो। मत्सरता द्वेष, निरुत्साह और निराशा के विचार शरीर से स्वास्थ्य और सौंदर्य का हरण करते हैं।
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आदमी चार तरह के होते हैं- (1) मक्खी चूस- न आप खाये और न दूसरों को देवें, (2) कंजूस- आप तो खाये पर दूसरों को न दे, (3) उदार- आप भी खाये और दूसरों को दे, (4) दाता- आप न खाये और दूसरों को दे। सब लोग दाता नहीं बन सकते हैं पर उदार अवश्य होना चाहिए।
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