VigyapanSuchana

November 1952

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उपरोक्त पंक्तियों में गायत्री उपनिषद् और उसकी व्याख्या समाप्त हो जाती है। मोटी दृष्टि से देखने पर यह सामान्य ज्ञान प्रतीत होती है परन्तु यदि सूक्ष्म दृष्टि से देखा जाय, इस उपनिषद् में सन्निहित तत्व ज्ञान का बारीकी से निरीक्षण किया जाय, तो मनुष्य जीवनोपयोगी समस्त ज्ञान इसमें भरा हुआ मिलेगा। अध्यात्म, योग, दर्शन, धर्म, राजनीति, समाज विज्ञान, ऐश्वर्य, स्वास्थ्य, सुख-शान्ति आदि की अनेक जानकारियाँ इसमें गागर की सागर की तरह भरी हुई हैं। मनुष्य जाति की बहुत सी बिना सुलझी हुई गुत्थियों को इसमें सुलझाया गया है

गायत्री उपनिषद् की इतनी महत्ता को ध्यान में रखते हुए ही गत तीन अंकों में क्रमशः उसे प्रकाशित कर दिया है, विज्ञ पाठक उसके रहस्य समझने का प्रयत्न करेंगे तो उन्हें बहुत ही उपयोगी जानकारी प्राप्त होगी।


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