महात्मा ईसा मसीह के उपदेश

September 1950

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(पवित्र “बाइबिल” से)

-तू परमेश्वर और अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे जीव और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम कर। --मत्ती 22

-खून न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, ठगाई न करना, और अपने पिता और माता का आदर करना और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना। --मत्ती 19

-धन्य हैं वे जो दयावन्त हैं। उन पर दया की जायगी।

--मत्ती 5

-जो कोई अपने भाई पर क्रोध करे, वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा, और जो कोई अपने भाई से कहे-अरे निकम्मा, वह सभा में दण्ड के योग्य होगा। जो कोई कहे अरे-मूर्ख! वह नरक की आग के दण्ड के योग्य होगा। यदि तू अपनी भेंट वेदी पर लाए और वहाँ स्मरण करे कि मेरे भाई के मन में मेरी ओर कुछ विरोध है तो अपनी भेंट वेदी के सामने छोड़ कर चला आ, पहले अपने भाई से मेल कर, तब आकर अपनी भेंट चढ़ा। --मत्ती 5

-कहा गया था कि आँख के बदले आँख और दाँत के बदले दाँत, पर मैं तुमसे कहता हूँ कि बुरे का सामना न करना, जो कोई तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे उसकी ओर दूसरा भी फेर दे। जो तुझ पर नालिश करके तेरा कुरता लेना चाहे उसे दोहर भी लेने दे। जो कोई तुझे कोस भर बेगार ले जाना चाहे उसके साथ दो कोस चला जा। --लूका 17

-यदि तेरा भाई अपराध करे तो जा और अकेले में बातचीत करके उसे समझा, वह यदि न सुने तो और एक दो जन को अपने साथ ले जा, यदि वह उनकी भी न माने तो मंडली से कह दे, यदि वह मंडली की भी माने तो उसे अन्य जाति और महसूल लेने वाले के जैसा जान। मैं तुम से सच कहता हूँ जो कुछ तुम पृथ्वी पर बाँधोगे वह स्वर्ग में बंधेगा और जो कुछ तुम पृथ्वी पर खोलोगे वह स्वर्ग पर खुलेगा।

--मत्ती 18

-अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, जो तुम से बैर करें उनका भला करो, जो तुम्हें शाप दें उनको आशीष दो और जो तुम्हारा अपमान करें उनके लिये प्रार्थना करो। जो तेरे एक गाल पर मारे उसकी ओर दूसरा भी कर दे, और जो तेरी दोहर छीन ले उसको कुर्ता लेने से भी न रोको। --लूका 3

-यदि तुम प्रेम रखने वालों के साथ प्रेम रखो तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी अपने प्रेम रखने वालों के साथ प्रेम रखते हैं। --लूका 3

-तुमने सुना है कि, कहा था कि व्यभिचार न करना, पर मैं तुम से कहता हूँ कि जो कोई बुरे मन से किसी स्त्री को देखे वह अपने मन में व्यभिचार कर चुका। यदि तेरी दाहिनी आँख तुझे ठोकर खिलाये तो उसे निकाल कर फेंक दे, क्योंकि तेरे लिये यह भला है कि तेरा एक अंग नाश हो, तेरा सारा शरीर नरक में न डाला जाए और यदि तेरा दाहिना हाथ तुझे ठोकर खिलाये तो उसे काट कर फेंक दे, क्योंकि तेरे लिये यह भला है कि तेरा एक अंग नाश हो और तेरा सारा शरीर नरक में न जाय। --मत्ती 5

-यह भी कहा गया था कि जो कोई अपनी पत्नी को त्यागे वह उसे त्याग-पत्र दे, पर मैं तुमसे कहता हूँ कि जो कोई व्यभिचार को छोड़ और किसी कारण से अपनी पत्नी को त्यागे वह उससे व्यभिचार कराता है। --मत्ती 19

-मनुष्य अपने माता-पिता से अलग होकर अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन होंगे। सो वे अब दो नहीं एक तन हैं, इसलिए जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है उसे मनुष्य अलग न करे।

--मत्ती 19

-अपने लिये पृथ्वी पर धन बटोर कर न रखो, जहाँ कूड़ा और काई बिगाड़ते हैं और जहाँ चोर चुराते हैं। पर अपने लिये स्वर्ग में धन बटोर कर रखो, जहाँ न कीड़ा न काई बिगाड़ते हैं और न जहाँ चोर चुराते हैं, क्योंकि जहाँ तेरा धन है वहाँ तेरा मन भी लगा रहेगा।

-तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते। --मत्ती 5

-न सोना न रूपा न ताँबा रखना। मार्ग के लिये न झोली रक्खो न दो कुर्ते न जूते न लाठी लो, क्योंकि मजदूर के लिये अपना भोजन मिलना चाहिये।

-परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊँट का सुई की नोंक में से निकल जाना सहज है।

--मत्ती 10

-धनवान का स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना कठिन है। फिर तुमसे कहता हूँ कि परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊंट का सुई के छेद से निकल जाना सहज है। --मत्ति 19

-धन्य हैं वे जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं क्योंकि वे तृप्त किये जायेंगे। --मत्ती 5

-माँगो तो तुम्हें दिया जायगा, ढूंढ़ो तो तुम पाओगे, खटखटाओ तो तुम्हारे लिये खोला जायगा।

--मत्ती 7

-धन्य हैं वे जिनके मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे। --मत्ती 5

-जो मुँह में जाता है वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, पर जो मुँह से निकलता है वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। जो कुछ मुँह में जाता है वह पेट में पड़ता है और सन्डास में निकल जाता है, पर जो कुछ मुँह से निकलता है वह मन से निकलता है और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है, क्योंकि कुचिन्ता, खून, पर-स्त्री-गमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही, और निन्दा मन से ही निकलती है यही हैं जो मनुष्य को अशुद्ध करती हैं, पर बिना हाथ धोये भोजन करना मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता। --मत्ती 15

-मैं तुम से सच कहता हूँ यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी हो, तो इस पहाड़ से कह सकोगे कि यहाँ से सरका कर वहाँ चला जा और वह चला जायेगा। --मत्ती 17

-धन्य हैं वे जो नम्र हैं, वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।

--मत्ती 5


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