जहाँ जाने पर भली भाँति स्वागत सत्कार न हो, कोई मधुर वचन न बोले, गुण दोष की बात न पूछे उस स्थान पर भूल कर भी नहीं जाना चाहिये।
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विश्व में सबसे बड़ा दुःख परतन्त्रता है, सबसे बड़ा सुख स्वतन्त्रता है।
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दुर्दिनों के अन्धकार के नाम पर रो-रो कर अपना उत्साह कभी नहीं भंग करना चाहिये। यह चेष्टा बुरी है।