आप फूँक फूँक कर कदम रखते हैं

July 1950

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(प्रो. रामचरण महेन्द्र एम.ए.)

जीवन बड़ा बहुमूल्य है। एक बार जीवन मिलने के पश्चात् किसे मालूम पुनः कब जन्म हो। अतएव पग पग पर असावधानी से आप भारी संकट में फंस सकते हैं।

सतर्क और सावधान पुरुष आने वाली आपत्ति के विषय में चौकन्ना रहता है। यह सही है कि वह उसे दूर नहीं कर सकता, किन्तु उसके वेग को बहुत कुछ क्षीण कर सकता है। सतर्कता से भविष्य दृष्टा बनते हैं। भविष्य में आने वाली घटनाओं के बारे में बुद्धि लगती है।

क्या आपने अपने जीवन का बीमा करा रखा है? यदि नहीं तो इसका अभिप्राय यह है कि आप अपनी वृद्धावस्था के लिये कोई भी आर्थिक सहायता नहीं रख रहे हैं। क्या मालूम आपके पुत्र आपसे किनारा काट लें। हाथ तंग रहे, या कोई अप्रत्याशित खर्चा आकर आपको पस्त कर दे। वृद्धावस्था में बीमारियाँ हो सकती हैं। इनके लिए आप कितनी तैयारी करते हैं? बैंक में या आभूषण, गृह इत्यादि के रूप में आपके पास कितनी सम्पत्ति सहायता के लिए है?

क्या आपने भविष्य के बारे में सोच कर अपने पद से त्याग पत्र दिया है? जो व्यक्ति क्षणिक आवेश के वशीभूत होकर अपने पद से पृथक हो जाते हैं, वे बेकारी के दिन काटते हैं। जब तक अगला कदम दृढ़ता से न जमा लें, पहला न उठावें।

क्या आप स्वास्थ्य के विषय में सतर्क हैं? मामूली सी कब्ज बढ़ कर असंख्य छोटी बड़ी बीमारियों का रूप धारण कर सकता है। आपके सिर में रहने वाला दर्द किसी आने वाली बीमारी का सूचक है। यदि आप वीर्यपात से परेशान हैं, तो संभव है यही रोग बढ़ कर आपके सब दाँतों को हड़प ले।

क्या आप किसी अजनबी को कोरी भावुकता से वशीभूत होकर रुपया उधार दे देते हैं? क्या आप बिना गिने हुए धोबी को कपड़े देते हैं? क्या आप रुपया भुनाते समय पैसों को अच्छी तरह गिनते हैं? जो व्यक्ति फूँक-फूँक कर कदम रखने वाले हैं, वे इनमें से प्रत्येक बात के लिए सावधान रहते हैं।

सौदा खरीदते समय क्या आप दो चार दुकानों पर वस्तुओं के मूल्यों के विषय में पूछताछ करते हैं? जो व्यक्ति आराम तलबों में आकर एक ही दुकान से माल खरीदा करते हैं, उधार के आदी होते हैं, वे कर्जदार होकर जन्म भर दुःख उठाते हैं।

जीवन में लाखों ऐसी बातें हैं जिन पर आपको सब सोच-विचार करना है। इन सभी समस्याओं को निम्न रूप में रखा जा सकता है-(1) घरेलू को निम्न रूप में रखा जा सकता है-(2) हमारी आर्थिक समस्याएं (3) हमारी स्वास्थ्य सम्बन्धी चिन्ताएं (4) हमारी धार्मिक और आध्यात्मिक शंकाएं।

अपनी घरेलू गुत्थियों को न्यून कीजिए। क्या आप जीवन पर्यन्त घर के छोटे से दायरे में ही आबद्ध रहेंगे और अपनी शारीरिक गुत्थियों में उलझे रहेंगे। जीवन स्वार्थ सिद्धि और सम्पूर्ण आयु घर के झंझटों में रहने के लिए नहीं बना है। यह हिस्सा तो एक छोटा सा फासला है। इसके आगे महत्वपूर्ण सफर है।

रुपया पैसा भले जीवन के लिए आवश्यक है। इसका सदुपयोग फूँक-फूँक कर कीजिये। मितव्ययिता से काम कीजिए। किन्तु इसका अभिप्राय यह नहीं कि रुपये के ही भक्त बन कर रह जाएं। रुपया उन्नति का साधन है। अपनी उन्नति के लिए उसका उपयोग कीजिए।

स्वास्थ्य सम्बन्धी चिंताएं अवश्य विचारणीय हैं। जीवन का सम्पूर्ण आनन्द उन्हीं पर अवलम्बित हैं। खान, पान, विहार, रहन-सहन में फूँक-2 कर चलने की आवश्यकता है। तनिक भी गलती का परिणाम घातक हो सकता है। व्यभिचार एक आकर्षण विष है जो प्रत्येक नवयुवक को हड़पने के लिए अपनी ओर खींचता है। सावधान रहें।

आपकी धार्मिक और आध्यात्मिक शंकाएं ही वास्तविक शंकाएं हैं। आप क्यों आये? जीवन में क्या कर रहे हैं? आपके दैवी तत्वों की कहाँ तक वृद्धि हुई है? आवश्यकताएँ कम कर संतोष, सुख, समता, निस्वार्थता, प्रेम शाँति कितना प्राप्त कर सके हैं? मनोविकारों पर कितनी विजय प्राप्त हुई है? यह कार्य अब आपके करने योग्य हैं? इन पर क्रमशः विचार कीजिए।

मानव का ध्येय लघु से महान, महान से देवत्व प्राप्त करना है। जो व्यक्ति धीरे-धीरे अपनी निर्बलताओं को निकाल कर, सद्गुणों की वृद्धि करता है, अपनी मनः स्थितियों पर काबू पा लेता है उसे जीवन का सच्चा आनन्द प्राप्त होता है।

अपने समय के विषय में बड़े सतर्क रहिये। जीवन की घड़ियाँ गिनी चुनी है। एक एक पल दुबारा आने वाला नहीं है। यदि आप अन्य बातों में सावधानी बरतते हैं, तो इस मामले में बहुत सावधान रहिए। जो दिन आज गया, वह सदैव के लिए नष्ट हो गया। आगे जो अनिश्चित समय है, उसका एक एक पल आपकी जागरुकता का विषय होना चाहिए।

सतर्कता दैवी गुण है। निरन्तर सतर्क रहने से मनुष्य अपने जीवन के अनेक कंटक दूर कर सकता है।


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