जहाँ उद्योग की प्रतिष्ठा नहीं होती वहाँ हमेशा ही नाश और अवनति रहती है, विद्या, बल, ज्ञान वहाँ झाँकते भी नहीं। परन्तु जहाँ उद्योग को अपनाया जाता है वहाँ का मुर्दापन चला जाता है और चैतन्यता चमकने लगती है। -स्वामी रामतीर्थ
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सारे संसार को अपने साथ लिये बिना संसार का एक परमाणु भी आन्दोलित नहीं हो सकता।
-स्वामी विवेकानन्द
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