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August 1949

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दैवी ज्ञान हुए बिना मनुष्य को अपनी कीमत नहीं मालूम होती और इसी लिए अपने विषय में वह औरों से जानना चाहता है, जब कि अपने संबंध में वह अपनी आत्मा से विश्वस्त किन्तु दृढ़ता पूर्वक जानकारी कर सकता है। साँसारिक दृश्य पर देव मोहित नहीं होते क्योंकि निरन्तर अन्तर दृष्टि रखने के कारण उन्हें अपने भीतर ही उससे अधिक महत्वपूर्ण चीजें मिल जाती हैं। -महर्षि रमण

जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रेम और बलिदान को प्रधान समझना चाहिए। अगर आप उन मनुष्यों के जीवन पर दृष्टि डालेंगे जिन्होंने इतिहास में अपना नाम अमर बना लिया है। आपको मालूम होगा कि उनकी सफलता का भूल कारण प्रेम और बलिदान की भावना ही है।-डॉ. एनी बीसेन्ट

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वर्ष-10 संपादक-श्रीराम शर्मा आचार्य अंक-8

नर-नारायण

(श्री श्रमजीवी)


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