लाखों गूँगों के हृदय में जो ईश्वर विराजमान हैं मैं उसके सिवा अन्य किसी ईश्वर को नहीं मानता। वे इसकी सत्ता को नहीं जानते, मैं जानता हूँ। और मैं इन लाखों की सेवा द्वारा उस ईश्वर की पूजा करता हूँ जो सत्य है अथवा उस सत्य की जो ईश्वर है।
-महात्मा गाँधी
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मनुष्य को चमत्कारिक शक्तियाँ कठिन काम करने से प्राप्त नहीं होती बल्कि इस कारण प्राप्त होती हैं कि वह उन्हें हृदय से करता है।
-डाँ. रिर्चड बी. ग्रेग