जिस मनुष्य ने कभी प्रेम नहीं किया, वह मनुष्य कदापि ईश्वरानुभव नहीं कर सकता। यह एक तथ्य है। -स्वामी रामतीर्थ।
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दया के कामों में मनुष्यों को ईसाई होना चाहिये। कड़ाई के साथ बाह्य विधि को ठीक-ठीक पालन करने में मुसलमान और सब प्राणी मात्र के विषय में दया करने में हिन्दू होना चाहिए।
-श्री रामकृष्ण परमहंस।