भगवान बुद्ध के उपदेश

June 1945

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एक दिन शील और ज्ञानी के साथ जीना सौ वर्ष के दुःशील असमाहित जीवन से अच्छा है।

-सहस्स बग्गो,

सौ वर्ष के आलसी और हीन वीर्य जीवन की अपेक्षा एक दिन का दृढ़ कर्मण्यता का जीवन अच्छा है।

-सहस्स बग्गो,

जिसके हाथ में घाव नहीं है वह उस हाथ में विष रख सकता है। जिसके मन में स्वार्थ नहीं है उसके लिए कुछ भी विषय अर्थात् पाप नहीं है।

-पाप बग्गो,

जो शुद्ध, पवित्र, निर्दोष, पुरुष को दुख देता है, पाप उसी मूर्ख को लगता है। जैसे वायु की ओर फेंकी हुई धूल अपने ही ऊपर आ पड़ती है।

-पापबग्गो,

संसार उसे प्यार करता है जो शीलवान है, ज्ञानी है, धर्मात्मा है, सत्यवादी है और अपने निश्चित कार्य में लगा रहता है।

-पियबग्गो,

क्रोध को छोड़ दें। घमंड को नष्ट कर दें। सब बन्धनों को काट दें। जो नाम और रूप से नहीं चिपटता और जो किसी को अपना नहीं कहता, उसको दुख नहीं सताता।

-क्रोध बग्गो,

क्रोध को प्रेम से जीतें, दुष्ट को भलाई से जीतें, लोभी को दान से जीतें, और झूठे को सत्य से जीतें।

-क्रोध बग्गो,

सच बोलें, क्रोध न करें, जरूरत मंद को अपनी वस्तुएं दे दें, इन तीन बातों से मनुष्य देवताओं के निकट स्थान पाता है।

-क्रोध बग्गो,

काया को कोप से बचा, काया को संयम में रख, कार्यों को दुराचार से निकाल, और काया से अच्छे काम करें।

-क्रोध बग्गो,


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