प्राणायाम संबंधी अमेरिकन खोज

November 1944

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प्राणायाम से स्वास्थ्य का कितना घना संबंध है इसका महत्व हम भारतवासी आज भूले हुए हैं। हमारे पूर्वजों ने शारीरिक और मानसिक उन्नति के लिए प्राणायाम को अत्यन्त ही महत्वपूर्ण बताया है। योरोपीय विद्वानों का ध्यान भी इसी ओर आकर्षित हुआ और वे लोग जितनी अधिक दिलचस्पी इस ओर ले रहे हैं उतनी ही नई-नई बातें उन्हें मालूम होती जाती हैं।

पिछली लड़ाई में जब अमेरिका युद्ध में सम्मिलित हुआ तो सेना के लिए भर्ती की जाने लगी। लेकिन जो नौजवान फौज में भर्ती होने के लिए आते थे उनमें से 40 प्रतिशत डाक्टरी जाँच में शारीरिक कमजोरी के कारण अस्वीकृत होने लगे। यह खबर जब अखबारों में छपी तो सारे अमेरिका में तहलका मच गया। सैनिकों की इतनी अधिक आवश्यकता और नौजवानों के स्वास्थ का यह हाल। बात वास्तव में चिन्ता करने की और घबराने की थी।

उस समय अमेरिका के एक आध्यात्मिक महानुभाव श्री टामसन राबर्ट गैन्सन ने सरकार को लिखा कि यदि सेना में भर्ती के लिए डाक्टरी कारणों से अस्वीकृत नौजवानों को कुछ समय के लिए मुझे दे दिया जाय तो चन्द दिनों में ही मैं उनकी कमजोरी को दूर करके उन्हें सेना में भर्ती होने योग्य बना सकता हूँ। सरकार के उच्च अधिकारियों ने श्री गैन्सन से भेंट की और उन्हें कमजोर नौजवानों को बलवान बनाने के लिए काम करने की स्वीकृति दे दी।

श्री टामसन रावर्ट गैन्सन ने ओहिमोस्ट्रीट पर एक स्कूल खोला जिसमें प्राणायाम द्वारा स्वास्थ्य सुधारने की शिक्षा दी जाने लागी। वह शिक्षा ऐसी उपयोगी और जादू के समान चमत्कार पूर्ण साबित हुई कि एक ही मास में दिल, दिमाग, गुर्दे और जिगर में पहले की अपेक्षा बहुत कुछ सुधार हो गया, और जिन्हें एक महीने पहले अस्वीकृत कर दिया गया था वे डाक्टरी जाँच द्वारा धड़ाधड़ स्वीकृत होने लगे। इतनी जल्दी, इतने आश्चर्य ढंग से इतना अधिक लाभ होते देखकर लोगों को दंग रह जाना पड़ा। तब अमेरिका की जनता ने जाना कि प्राणायाम एक साधारण सी क्रिया है तो भी इसके लाभ असाधारण हैं। तब से वहाँ की जनता प्राणायाम की सहायता से अपने स्वास्थ्य में बहुत भारी सुधार कर रही है। वहाँ अनेकों शिक्षालय ऐसे हैं जिनमें प्राणायाम क्रियाओं द्वारा नाना प्रकार के रोगों का इलाज किया जाता है और गिरी हुई तन्दुरुस्तियों को सुधारा जाता है।

रावर्ट जैन्सन इस बात पर बड़ा जोर देते हैं कि साँस लम्बी और गहरी लेनी चाहिए। क्योंकि पूरी साँस लेने से शरीर को उचित मात्रा में प्राणप्रद वायु (ऑक्सीजन) प्राप्त होती है जिसके प्रभाव से मुर्दों और सुस्त अंकों में फिर से चैतन्यता आ जाती है और संचार ठीक-ठीक रीति से होकर शरीर में सजीवता भर देता है। कलेजा,पेट, आमाशय, गुर्दे और मूत्राशय पर प्राण वायु की अधिकता का विशेष प्रभाव पड़ता है और उनके अन्दर जो खराबियाँ कुदरतों से रुकी पड़ी थी वे थोड़े ही दिनों में अपने आप निकल जाती हैं। फेफड़े की मजबूती का गहरी श्वाँस से अत्यधिक संबंध है। गहरी पूरी और लम्बी साँस लेने का कुछ ही दिन अभ्यास किया जाय तो सीने की चौड़ाई और मजबूती में जरूर फर्क पड़ता है। प्राणायाम के अभ्यास से लोग सीने पर कई मन भारी पत्थरों को रखकर तुड़वा लेते हैं और छाती पर हाथी खड़ा कर लेते हैं।

वैज्ञानिक जगत में प्राणायाम के संबंध में अनेक प्रकार के अन्वेषण हो रहे हैं। योरोप और अमेरिका के डॉक्टर अपनी चिकित्सा में प्राणायाम को महत्वपूर्ण स्थान दे रहे हैं। कई स्थानों पर सुविज्ञ डाक्टरों ने केवल प्राणायाम द्वारा समस्त रोगों को अच्छा करने के चिकित्सालय स्थापित किये हैं। जिन बातों को डॉक्टर लोग अब जानते हैं उन बातों को हमारे पूर्वजों ने बहुत पहले जान लिया था और स्वास्थ्य के लिए प्राणायाम को आवश्यक बताया था परन्तु हम लोग दवाइयों द्वारा प्राचीन सम्पत्ति का निरादर करने में लगे हुए हैं। काश, हम लोगों ने प्राणायाम का महत्व समझ होता तो हम लोगों के स्वास्थ्य कैसे सुन्दर हुए होते।

अपने बड़े भाई की जन्मगाँठ पर-


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