तीन घंटे समय की भेंट दीजिए।

November 1944

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(श्री हरिजोत्र्यंवकजी भावे, मैसुर)

‘अखण्ड ज्योति’ अपने पाठकों को अपना कुटुम्बी मानती है। और उनकी वर्षगाँठ के अवसर पर अखण्ड ज्योति कार्यालय में एक आध्यात्मिक विधि से धार्मिक कृत्य किया जाता है एवं उनके दीर्घ जीवन तथा सब प्रकार की उन्नति के लिए ईश्वर से मंगल कामना की जाती है। इस अवसर पर आचार्य जी एक सन्देश भी उन सज्जन के लिए भेजते हैं। मैंने कई महानुभावों की वर्षगाँठ अखण्ड ज्योति कार्यालय में मनाई जाती देखी है और उस अवसर पर प्रकट किये गये आचार्य जी के उद्गारों को सुना है। उस समय ऐसा मालूम पड़ता है मानो आचार्य जी अपने सगे छोटे भाई की जयन्ती मना रहे हैं। वह महानुभाव यहाँ नहीं होते तो भी ऐसा लगता है मानो वह यहाँ मौजूद ही हैं।

जन्म जयन्ती मनाना-परिवार के घने स्नेह का द्योतक है। आचार्य जी अपने इस स्नेह का परिचय कई वर्षों से दे रहे हैं अपने परिवार के प्रति। लगता है कि परिवार की ओर से भी आचार्य जी के प्रति भी वैसा ही स्नेह प्रकट किया जाना चाहिए, पाठकों को भी अपने बड़े भाई की जयन्ती मनानी चाहिए। ता. 20 सितम्बर को आचार्य जी के जीवन का 32वाँ वर्ष समाप्त होकर 33वाँ आरम्भ होगा। इस अवसर पर मेरा एक प्रस्ताव पाठकों के सामने है। वह यह कि ता. 18-19 और 20 सितम्बर को कम से कम एक-एक घंटा अखण्ड ज्योति के नये ग्राहक बढ़ाने का प्रचार करने में लगाया जाय। हर एक पाठक अपने सम विचार वाले बन्धुओं से अखण्ड ज्योति की महत्ता बताते हुए ग्राहक बनने का अनुरोध करने के लिए मिलें और कम से कम एक नया ग्राहक बढ़ाने में सफलता प्राप्त करें। अखण्ड ज्योति का प्रचार, सद्विचारों का विस्तार यही सबसे अधिक अपनी प्रिय वस्तु आचार्य जी बताया करते हैं। इस भेंट से उन्हें बहुत संतोष होता है। आशा है कि पाठक गण आचार्य जी के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित करने और सद्विचारों के प्रचार का पुण्य लाभ करने के लिए ता. 18-19 और 20 सितम्बर को कम से कम एक-एक घंटा समय अवश्य खर्च करेंगे। आपके यह तीन घंटे अखण्ड ज्योति के ज्ञान यज्ञ में असाधारण अमूल्य अमृतमयी सहायता करने वाले सिद्ध होंगे।


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