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November 1944

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मंद बुद्धि कवियों ने स्त्री को बदनाम करने के लिये उन्हें, महंगी विपदा, खरीदा हुआ विष और दुख की काली रात कहा है परन्तु यह कटाक्ष सरासर झूठ है। इस संसार में और चीजें तो परिश्रम से प्राप्त होती हैं, परन्तु पवित्र स्त्री तो ईश्वर की असीम कृपा से प्राप्त होती हैं।

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भारतवर्ष का धर्म यहाँ के पुरुषों से नहीं, पुत्रियों की कृपा से स्थिर है। यदि भारत की देवियाँ अपना धर्म छोड़ देतीं तो अब तक यह देश नष्ट हो गया होता।

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हरेक की प्रकृति में दया, करुणा और कुकर्म से अरुचि के अंकुर हैं, चाहे वह उन्हें सींच कर बढ़ाये चाहे सुखा दे। यह सब गुण केवल अभ्यास से पुष्ट होते हैं।


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