नीचतापूर्ण ओछे विचार रखना, बेईमानी धोखेबाजी, खुदगर्जी की नीति का अवलम्बन करना लौकिक और पारलौकिक दोनों ही दृष्टियों से एक बहुत ही हानिकारक दुखदायी कार्य है। इस मार्ग पर चलने वाले को पग-पग पर घृणा बदनामी, तिरस्कार, अपमान, उपहास और अविश्वास का सामना करना पड़ता है। उसको सच्चे मित्र और सच्चे सहयोगियों का मिलना प्रायः असंभव हो जाता है। ऐसे व्यक्ति के लिये अपने जीवन में कोई महत्वपूर्ण उन्नतियाँ सफलता प्राप्त करना कठिन है। उसे सदा कुढ़न, द्वेष, विरोध, निन्दा, क्रोध, ईर्ष्या और अशान्ति में ही जलता रहना पड़ेगा। ओछी मनोवृत्ति एक प्रकार की अग्नि है जो मस्तिष्क की सारी शान्ति और प्रसन्नता को जलाकर खाक कर देती है, जो आदमी कमीने विचार और स्वभावों को अपने मन में स्थान देता है। उसका चित्त सदा मरघट की तरह सुलगता रहता है। किन्तु जिनने उच्च विचारों को अपना लिया है, जो कर्त्तव्य धर्म को प्रधानता देते हुए कार्य करते है वे दिन-दिन आत्मिक और साँसारिक उन्नति के मार्ग पर बढ़ते जाते हैं। स्मरण रखिए नीच विचार रखना जीवन को नष्ट भ्रष्ट कर डालने वाला एक भयंकर खतरा है, जिससे हर किसी को सावधान रहने और बचने का प्रयत्न करना चाहिए।