अभ्यास की सफलता का परीक्षण

January 1944

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अभ्यास से अपनी विद्युत शक्ति की उन्नति हुई या नहीं इसका परीक्षण करने के लिए कुछ उपाय नीचे बताये जाते हैं। यदि इनमें से अधिकाँश परीक्षणों में सफलता मिले तो समझना चाहिए कि मैस्मरेजम विद्या का प्रयोग करने लायक योग्यता उपलब्ध हो गई।

(1) काले पर्दे की सहायता से

एक अंधेरी कोठरी इस कार्य के लिए चुनो। एक कुर्सी रखकर उसकी पीठ पर गहरे काले रंग का कपड़ा लटका दो। एक बहुत क्षीण प्रकाश का दीपक कुर्सी के आगे की तरफ जरा दूर रख दो ताकि कुर्सी की पीठ पर लटके हुए कपड़े पर प्रकाश न पड़ने पावे अंधेरा बना रहे। इस कपड़े के पीछे अपने लिए एक चौकी या कुर्सी बिछाओ और उस पर बैठ जाओ। अब अपने दोनों हाथों को इस प्रकार मिलाओ जैसे नमस्कार करने के लिये हाथ जोड़ते हैं। काले कपड़े और तुम्हारे हाथों के बीच एक फुट का फासला रहना चाहिये। कुर्सी के ऊपरी सिरे की सीध से एक इंच नीचे हाथों को रखकर उन्हें आपस में धीरे धीरे रगड़ना आरंभ करो और फिर इस क्रिया को उत्तरोत्तर तेज करते जाओ। ध्यानपूर्वक देखने से पता चलेगा कि झाड़ते समय एक सफेद भाप जैसा पदार्थ उनमें से निकल रहा है। कभी कभी हथेलियों की चमड़ी चमकती मालूम पड़ेगी और कभी एक दो हलकी चिनगारी सी इधर उधर बिखरती मालूम देगी। नाखूनों के छोरों में चमक विशेष रूप से देखी जाती है।

(2) आकर्षक प्रभाव।

पालथी मार कर लकड़ी की चौकी पर बैठो। कुर्सी पर बैठना हो तो पांवों को लकड़ी के तख्ते पर रखो। जिस कुर्सी या चौकी पर बैठे हो उसमें धातु की कोई ऐसी कील न लगी हो जो तुम्हारे शरीर को छूती हुई जमीन तक पहुँचती हो। इन बातों का ध्यान रखना इसलिये आवश्यक है कि तुम्हारा शरीर जमीन को छू रहा होगा या धातु की कोई वस्तु शरीर को छूती हुई पृथ्वी तक पहुँच रही होगी तो शारीरिक विद्युत का प्रभाव जमीन में खिंचने लगेगा और जिस वस्तु की परीक्षा करना चाहते हो उसे देखने में सफलता न मिलेगी।

चौकी या कुर्सी पर पाँव ऊँचे करके बैठना चाहिए। दोनों हाथों को आपस में इस प्रकार मिलाओ कि हथेलियों और उँगलियों के सिरे आपस में मिल जावे। हथेली के बीच का भाग जरा सा खुला रह सकता है। एक मिनट तक हथेली ओर उँगलियों के सिरों को आपस में खूब चिपकाने का प्रयत्न करो। तदुपरान्त हथेलियों को कसकर मिलाये रहते हुए उँगलियों को अलग करने का प्रयत्न करो। ऐसा करने पर चारों उँगलियों में कंपकंपी मच जाएगी। वे एक दूसरे से अलग न होना चाहेंगी, किन्तु जब तुम उनका चुम्बकत्व भंग करके उन्हें अलग-अलग करना चाहते हो, तो मानवीय चुम्बक विद्युत के आकर्षण के कारण वे काँपने लगती हैं।

(3) जल का स्वाद परिवर्तन।

एक मेज पर कांच के गिलासों में पानी भरकर रखो। उनमें से एक में अपनी उँगलियों का अग्र भाग 4-5 मिनट डुबाये रहो और इच्छा करते रहो कि तुम्हारी विद्युत शक्ति इस पानी में उतर जाए। इसके बाद किसी कुशाग्र बुद्धि के मनुष्य को उन दोनों जल पात्रों को दिखाओ या उन जलों में से थोड़ा थोड़ा पिलाओ। वह व्यक्ति तुरंत ही बता देगा कि इस पानी के स्वादों में और चमक में कितना अन्तर है।

(4) लटकती हुई वस्तु को झुलाना!

सुई के छेद में धागा पिरोकर ऊपर छत में उसे इस तरह बाँध दो कि सुई बीच में लटकती रहे। उस कमरे में हवा के झोंके न आने पावें, इसका प्रबन्ध रखो, अब उस सुई से तीन फुट के फासले पर तुम बैठो और उसपर दृष्टि जमाओ, कुछ ही देर में उसमें हरकत होने लगेगी और जिस तरह चाहोगे उसी तरफ वह हटने व हिलने जुलने लगेगी। जलती हुई मोमबत्ती या दीपक की लौ को भी इसी प्रकार मानवीय विद्युत के आधार पर हिलाया झुलाया जा सकता है।

(5) जीव-जन्तुओं पर प्रतिबन्ध।

रामायण में ऐसा उल्लेख है कि लक्ष्मण जी एक रक्षित रेखा खींचकर चले आते थे और उसके अन्दर सीता जी अकेली निर्भय होकर बैठी रहती थी। जब रावण सीता को चुराने पहुँचा तो उसका इतना साहस न हुआ कि उस रेखा के अन्दर प्रवेश कर सके, अतएव उसे भिक्षुक का रूप बनाकर छल से सीता को रेखा के बाहर बुलाने का षड़यंत्र रचना पड़ा। इस प्रकार की विद्युतमयी रेखाएं हर कोई खींच सकता है, परन्तु उनमें असर अपने प्रयोक्ता के बल के अनुसार ही होगा। भूमि पर एक कोयले से कहीं छोटा सा एक गोल घेरा चक्र की तरह खींच दो। खींचते समय उस रेखा में अपनी विद्युतमयी इच्छा का समन्वय कर दो और बैठकर तमाशा देखो। उधर से जो चींटियां या इसी प्रकार के छोटे कीड़े निकलेंगे, उनके लिये यह रेखा जलती हुई बाल की तरह होगी। वे रेखा के समीप तक जायेंगे, किन्तु उलटे पाँवों लौट आवेंगे, उसे पार करते उनसे न बन पड़ेगा। यदि किसी छोटे कीड़े के आस पास ऐसी रेखा खींच दी जाए तो उससे बाहर न निकला जाएगा और उसके अन्दर ही घुमड़ाता रहेगा। जब उसे कोई मार्ग न मिलेगा और अपनी जान को हथेली पर रख लेगा, तब उस रेखा को पार करने को उद्यत होगा। जब वह पार करेगा, तो उसे बड़ा कष्ट होगा और निकलने के बाद ध्यानपूर्वक देखने से वह पीड़ित या पागल की तरह बेचैन दिखाई देगा।

(6) फोटो खींचना।

फोटो खींचने के जो अच्छे प्लेट आते हैं, वे आँखों की अपेक्षा प्रकाश को अधिक स्पष्ट अनुभव कर सकते हैं, किसी ऐसे अंधेरे कमरे में जाओ, जिसमें बाहर का प्रकाश बिलकुल न पहुँचता हो और जिसमें प्लेट पर बाहरी प्रकाश लग जाने की आशंका न हो। उस कमरे में जाकर एक फोटो का प्लेट खोलो और दो मिनट तक उसपर अपने हाथ का पंजा रखे रहो, बाद में प्लेट को सावधानी से ढ़क कर फोटोग्राफर से धुलवालो। उस पर हाथ के प्रकाश का चित्र बन जाएगा।

(7) चौंका देना।

कोई व्यक्ति किसी कार्य में व्यस्त हो, तो चुपके से उसके पीछे कुछ दूरी पर जाकर खड़े हो जाओ और रीढ़ की हड्डी या गर्दन का पिछला भाग जो खुला हुआ हो, उस पर दृष्टि जमाओ और उसे चौंका देने की भावना करते रहो। वह व्यक्ति कितने ही जरूरी काम में क्यों न लग रहा हो, अपना ध्यान हटाने को बाध्य होगा। उस स्थान को खुजलावेगा और मुड़कर तुम्हारी ओर देखने लगेगा।


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