(श्री कालूराम शर्मा)
पिछले अंकों में शरीर के कई अंगों के आकार को देखकर मनुष्य का स्वभाव जान लेने के बारे में बताया जा चुका है। इस अंक में नेत्र, कान और केशों के लक्षण बताये जा रहे हैं। पाठकों को इसका कुछ दिन तक लगातार अभ्यास करना चाहिए। जिस प्रकार नाड़ी परीक्षा के लिए अनेक रोगियों की गाड़ी देखने के बाद ही नये चिकित्सक को भली प्रकार ज्ञान हो पाता है। उसी प्रकार शारीरिक लक्षणों के संबंध में भी अनेक व्यक्तियों पर परीक्षा जारी रखना चाहिए। इससे परीक्षा संबंधी अनुभव बढ़ता है और वे सूक्ष्म भेद समझ में आ जाते हैं जिनके थोड़े से ही परिवर्तन के कारण स्वभाव में भारी अंतर हो जाता है। जिन लोगों ने निरंतर के अभ्यास द्वारा मनुष्य की पहचान करने की योग्यता प्राप्त कर ली है वे आसानी से भले-बुरे का अन्तर जान सकते हैं और उसके अनुसार अपने व्यावहारिक जीवन में लाभ उठाते हैं।
नेत्रों की परीक्षा
(1) नीले कमल के समान जिसके नेत्र हों वह विद्वान पंडित होगा।
(2) लाख के समान लाल नेत्रों वाला पुरुष विद्वान, धनी और यशस्वी होता है।
(3) मोती के समान सफेद आँखों वाला व्यक्ति धर्मतत्व का जानने वाला और विद्यावान् होता है।
(4) हाथी जैसे छोटे नेत्रों वाला पुरुष उच्च पद को प्राप्त करता है।
(5) जिनके नेत्र बड़े-बड़े होते हैं वह लम्बी आयु का उपभोग करते हैं।
(6) शहद के समान लाल या सोने की तरह पीले जिसके नेत्र हों वह मनुष्य धनवान होता है।
(7) हरताल के रंग के जिसके नेत्र हों वह राज ऐश्वर्य पाता है।
(8) हलके नीले रंग के, कुछ ललाई लिए हुए और चमकदार नेत्र धनवानों के होते हैं।
(9) जिसके नेत्रों की लम्बाई चौड़ाई अधिक हो वह इन्द्रिय भोगों में लिप्त रहने वाला होता है।
(10) कौआ या मेंढक जैसी आँखों वाले लोग नीच स्वभाव के होते हैं।
(11) साधारण जीवन व्यतीत करने वालों के नेत्र मोर या नकुल जैसे होते हैं।
(12) दीनता और भय भरे हुए नेत्रों वाले लोग दरिद्र होते हैं।
(13) कबूतर जैसे और चिकने नेत्रों वाला भोगों में अत्यंत लिप्त रहता है।
(14) घुमैले, मटीले रंग की आँखें सदाचारी, नेक और ईमानदार पुरुषों की होती हैं।
(15) मोटी आँखों वाले को बुद्धिमान समझना चाहिए।
(16) धर्मात्मा और पुण्यशील व्यक्ति दृष्टि को कुछ ऊँची उठा कर चलते हैं।
(17) धूर्त और कपटी मनुष्य नीचे की और आँखों करके चलते हैं।
(18) क्रोधी मनुष्य टेढ़ा-टेढ़ा देखता है।
(19) अकारण इधर उधर आँखें चलाने वाला दरिद्र और चोर होता है।
(20) अंधे, काने और भोंडे आदमियों में कुछ न कुछ भयंकर दुर्गुण अवश्य होते हैं।
(21) झुकी हुई या बैठी हुई आँखों वाला अल्प आयु में ही मर जाता है।
(22) इठे हुए, अकड़े हुए और गोल नेत्रों वाला मनुष्य भरी जवानी में मर जाता है।
(23) सफेद चमकते हुए और बिल्कुल गोल नेत्रों वाला व्यक्ति कम पढ़ा, पैसे वाला और चालाक होता है।
(24) शुद्ध हृदय वाले मनुष्य सामने की ओर कुछ नीचे देखकर चलते हैं।
(25) वार्तालाप में बार-बार आँखें चुराने वाले लोग कपटी, दुर्भावना रखने वाले और खुशामदी होते हैं।
(26) सर्प की सी चितवन वाला अक्सर बीमार पड़ा रहता है।
(27) छोटी आँखों वाले की जिंदगी दुख में कटती है।
(28) उल्लू की सी आँखों वाले पर पीड़क और दुष्ट होते हैं।
(29) मुर्गे की तरह देखने वाले लोग कलह प्रिय और ईर्ष्या करने वाले होते हैं।
(30) बिल्ली की तरह देखने वाला पापी और चोर होता है।
(31) भेड़िए की सी चितवन वाले पुरुष क्रोधी होते हैं।
(32) बगुले की सी चितवन वाले दुष्ट और दरिद्री होते हैं।
(33) पलकों पर जिसके बहुत थोड़ी बिनूनी वाला हो वह अल्पायु होता है।
(34) घनी और लंबी बिनूनी वाले दीर्घायु जीते हैं।
(35) बिना बिनूनी वाले लोग दुराचारी एवं चोर होते हैं।
(36) मोटी पीली अप्रिय रंग की खुरदरी, छितरी बिनूनी वाले मनुष्य नीच वृत्ति के होते हैं।
(37) काली पुतली वाली बड़ी आँखों वाला मनुष्य जिसकी बिनूनियाँ सुँदर और सुनहरी हों अवश्य ही धनवान भाग्यवान और आयुवान होता है।
(38) जिसकी पुतली बहुत काली हो वह आँखों की बीमारियों से पीड़ित न रहेगा।
(39) कंजे नेत्रों वाले पुरुष स्वभावतः दुष्ट होते हैं।
(40) बहुत ही छोटे, लाल, रूखे, जलभरे, मैले नेत्रों वाले मनुष्य बहुधा दरिद्र होते हैं।
(41) जो मनुष्य बातें करते समय बार-बार आँखें मिचकावे वह अक्सर बगुला भगत होते हैं।
(42) भीतर धंसे हुए, छोटे-छोटे, कुटिल नेत्रों वाले साधारण स्थिति के आदमी होते हैं। यदि उनके पास अधिक धन न होता तो भूखों भी न मरेंगे।
कानों की पहचान
(1) लंबे कानों वाला पुरुष सुशील सदाचारी किन्तु मूर्ख होता है।
(2) मोटे कानों वाले की पहली आधी उम्र सुख में और पीछे की आधी उम्र दुख में कटती है।
(3) चूहे के जैसे कानों वाला मनुष्य विद्वान और बुद्धिमान होता है।
(4) सुन्दर बनावट के, छोटे छेद वाले, और मझोले आकार के कान उत्तम व्यक्तियों के होते हैं।
(5) शंख की सी बनावट के कानों वाले मनुष्य किसी दल के अधिनायक होते हैं।
(6) जिनके कानों में बीच की नसें न हों वह अल्पायु जीते हैं।
(7) टेड़े मेड़े, बेडौल बड़े और असंख्य नसों से भरे हुए कानों वाले मनुष्य बुरे कर्मों में रुचि रखने वाले होते हैं।
(8) कड़े, सूखे से छोटे-छोटे कानों वाले व्यक्ति दुष्ट और दरिद्र होते हैं।
(9) बहुत बड़े और मोटे कानों वाले मनुष्य ऐश्वर्य भोगी और सुख की जिन्दगी बिताने वाले होते है।
(10) जिस व्यक्ति के कानों पर बड़े-बड़े रोम हों वह दीर्घायु जीता है।
(11) चपटे कानों वाला पुरुष इन्द्रिय लोलुप होता है।
(12) जिसके कान सिंघाड़े के आकार के हों और नीचे के भाग पर नीली नीली नसें चमकती हों वह अविश्वसनीय विश्वासघाती और निर्धन होता है।
बालों की पहचान
(1) जिसके बाल स्वभावतः पीछे की ओर मुड़ने वाले और नर्म हों वह चाहे जितना गुणवान होने पर भी अपयश और निंदा ही प्राप्त करता है।
(2) पतले, नरम, चिकने, स्वभावतः घुंघराले बाल उच्च कोटि के विद्वान, धनवान या राजाओं के होते हैं।
(3) मोटे, रूखे, खुरदरे, नीचे ऊँचे वाले धनाभाव के सूचक हैं।
(4) बहुत छोटे, टेड़े, दूर-दूर कड़े बाल जीवन का दुखमय होना प्रकट करते हैं।
(5) रोगी या चिन्तातुर लोगों के बाल अल्पायु में ही खेत हो जाते हैं।
(6) सुनहरी बाल सुँदर स्वभाव, मिलनसारी और ईमानदार को प्रकट करते है।
(7) जल्दी बढ़ने और घने गहरे काले बाल शूरता, तेजस्विता और बहादुरी के प्रतीक हैं।
पाठक परीक्षा करने पर इस विज्ञान को बहुत कुछ सत्य पावेंगे।
(क्रमशः)