जब तुम उन्नति का उद्योग कर रहे हो तो बड़ों के साथ रहो और जब शिखर पर पहुँच जाओ तो छोटे मनुष्यों को साथ रखो।
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जितनी शक्ति हम अपने अंदर मानते हैं उतनी ही हमें अनन्त शक्ति के स्त्रोत से प्राप्त होती है। इसलिए अधिकाधिक शक्ति संचय करने के लिए ज्यों ही हम अपनी चेतना और ज्ञान को फैलाते हैं। त्यों ही शक्ति की मात्रा हमारे अंदर बढ़ने लग जाती है।
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बुद्धिमान मनुष्य सब मनुष्यों की कदर करते हैं क्योंकि वे प्रत्येक मनुष्य में उसकी भलाई देखते हैं। मूर्ख लोग सबकी बेकदरी करते हैं क्योंकि वह भलाई को तो पहचान ही नहीं सकते और बुराई को चुन लेते हैं।