जो मनुष्य कट्टर दुराग्रही और वितंडावादी हो उनके साथ कभी वाद-विवाद नहीं करना चाहिए।
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पहले सूर्य उदय होता है तब मध्याह्न होता है। इसी प्रकार पहले विश्वास और पीछे ज्ञान होता है। अविश्वासी मनुष्य बलवान और साहसी नहीं हो सकता।
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ईश्वर में श्रद्धा रखने से भय आप ही दूर हट जाता है। श्रद्धा और भय दोनों परस्पर विरुद्ध हैं। वे एक ही स्थान पर नहीं रह सकते।
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सदा दुबारा सोचने के लिए गुंजाइश रखनी चाहिए। पहले प्रभाव पर काम करना योग्यता का अभाव प्रकट करना है।