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January 1940

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बर्तन के पानी में काला रंग डाल देने पर हम उसमें अपना प्रतिबिम्ब ठीक- ठीक नहीं देख सकते। इसी प्रकार जिसका चित्त विकारों से मैला हो रहा है वह अपने हित अनहित का ज्ञान नहीं रखता।

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सदाचार युक्त और ज्ञानपूर्वक एक दिन जीना, सौ वर्ष दुराचार पूर्ण और अव्यवस्थित जीने से कहीं अच्छा है।

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किसी की निन्दा मत करो। याद रखो इससे तुम्हारी जबान गन्दी होगी, तुम्हारी वासना मलिन होगी। जिसकी निन्दा करते हो उससे बैर होने की सम्भावना रहेगी और चित्त में कुसंस्कारों के चित्र अंकित होंगे।

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अहा। उसे कैसा विश्राम और शान्ति उपलब्ध है जो मिथ्या चिन्ता से मुक्त रह कर सदा ईश्वर और आत्मोद्धार का चिन्तन करता है।

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मनुष्य तभी दुःख में ग्रसित होता है, जब उसके आन्तरिक विचारों और बाह्य परिस्थितियों में मेल नहीं होता।


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