उठो, इन असुरों का संहार कर डालो।

December 1943

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सबसे अधिक भयानक और बलवान असुर ऐसे मायावी हैं जो आँखों से दिखाई नहीं पड़ते, मुश्किल से दिखाई और पकड़ में आते हैं। अत्यन्त गुप्त रूप से यह मन के भीतरी कोने में घुस बैठते हैं और ऐसी पकड़ जमाते हैं कि उनको हटाना बड़ा कष्ट साध्य हो जाता है। यह असुर और कोई नहीं ‘दुर्भाव’ और डडडड हैं। भीतर ही भीतर यह दुष्ट शरीर और मन को खा डालते हैं और अन्त में बड़ा निर्दयता पूर्वक नेशर्गिक तथा पारलौकिक नरक की अग्नि में जलते रहने के लिए पटक देते हैं।

आप इन शत्रुओं से सावधान रहिए। इन पाजी यमदूतों का अपने घर में आना जाना रोक दीजिए किसी कोने में छिपे बैठे हों तो बल पूर्वक बाहर निकाल दीजिए। खुदगर्जी, कंजूसी, निष्ठुरता, झुँझलाहट, कायरता, ईर्षा, आदि दुर्भावनाएं जब भी अपने में दिखाई पड़े तुरंत ही उनका विनाश करने को तैयार हो जाइए। यह अनेकों, रावण, कंस, पूतना, ताड़का और सूपनखाओं का समूह आम को चुनौती दे रहा है। अरे राम, कृष्णं उठो अपने हथियार संभालो और इन असुरों का संहार कर डालो।


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