“मैस्ममरेजम-अंक” होगा।

December 1943

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यों तो बाजार में मैस्मरेजम की सैकड़ों झूठी-सच्ची किताबें बिकती हैं और लोग उन्हें खरीद कर अपना धन एवं समय बर्बाद करते हैं। पर यह अंक बिल्कुल ही अनूठी चीज होगा। इसमें मैस्मरेजम विद्या की शास्त्रीय और वैज्ञानिक विवेचना होगी। एवं वर्षों के अनुभवों का सार निचोड़ कर रखा जायगा। इस विद्या को सीखकर अनेक प्रकार के आध्यात्मिक चमत्कार दिखाने की बिलकुल सच्ची और हजारों बार परीक्षा की हुई विधियाँ रहेंगी। जिन्हें प्राप्त करने के लिए वर्षों गुरुओं की लंगोटियाँ धोनी पड़ती हैं, वह सब रहस्य आपको इस अंक में मिल जायेंगे।

मैस्मरेजम के नाम पर हाथ की सफाई और चालाकी से अनेक प्रकार के आश्चर्य जनक करतब दिखाकर मामूली आदमी मालामाल बन जाते हैं। उन सब बाजी गरियों का पूरा-पूरा भंडा फोड़ इसमें रहेगा। जिसमें एक बच्चा भी उन करतबों को करके यह दिखा दे कि बाजीगरों में कुछ सार नहीं, यह तो चालाकी मात्र है, सच्ची मैस्मरेजम विद्या तो दूसरी ही बात है। तात्पर्य यह है कि आध्यात्म विद्या में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए सब प्रकार यह अनूठी चीज होगी। ऐसा अनुभवपूर्ण साहित्य आज तक कहीं से नहीं छपा।

यह विशेषाँक कागज की कमी की वजह से सिर्फ उतना ही छपेगा जितने पाठकों का चन्दा वसूल हो जायगा। इसलिए आप अपना चन्दा इस दिसम्बर में ही भेज दीजिए। गत वर्ष का विशेषाँक जनवरी में ही समाप्त हो गया था और देर में चन्दा भेजने वालों को यह नहीं मिला था। इस वर्ष भी ऐसा हो सकता है। आप अपना चन्दा आज ही भेज दीजिए और इस अंक को प्राप्त करने के लिए निश्चिन्त हो जाइए।

वर्ष-4 सम्पादक - आचार्य श्रीराम शर्मा अंक-12


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