गीत संजीवनी-2

जागेगा इन्सान

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जागेगा इन्सान, ज़माना देखेगा।
नवयुग का निर्माण, ज़माना देखेगा॥

देवता बनेंगे मेरे, धरती के प्यारे।
हम सुधरें तो, जग को सुधारें॥
चमकेगा देश हमारा, मेरे साथी रे
आँखों में कल का, नज़ारा मेरे साथी रे॥
धरती पर भगवान्, ज़माना देखेगा १॥

मिल जुलकर होंगे सारे, खुशियों के मेले।
कोई ना रो पायेगा, दुःख में अकेले।
जागेगा देश हमारा, मेरे साथी रे
आँखों में कल का, नज़ारा मेरे साथी रे॥
कल का हिन्दुस्तान, ज़माना देखेगा॥ २॥    
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