ऐसे संस्कारवान बालकों के शिक्षा के लिए नालन्दा, तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों की आवश्यकता होगी जहाँ का प्रत्येक पाठ, प्रत्येक आचरण, प्रत्येक शिक्षण महामानव बनाने वाला हो। ऐसे विश्व विद्यालय बनाने और चलाने के लिए संभवतः हम इस शरीर से जिन्दा न रहेंगे पर उसकी योजना तो स्वजनों के मस्तिष्क में छोड़ ही जानी होगी। युग निर्माण कार्य महान है उसके लिए महान योजनाएँ प्रस्तुत करनी होंगी। नई पीढ़ी का रचना कार्य प्रबुद्ध युवकों के धर्म विवाहों से आरम्भ होगा। इसे एक प्रचंड आन्दोलन का रूप हमें शीघ्र ही देना होगा।
-वाङ्मय ६६-२-७५