वित्ते त्यागः क्षमा शक्तौ दुःखे दैन्यविहीनता।
निर्दम्भता सदाचारे स्वभावोऽयं महात्मनाम्॥
‘धन में त्याग (धन की स्थिति में श्रेष्ठ कार्यों में नियोजन) शक्तिवान होकर क्षमाशील रहना, दुःख में दीनता का अभाव और सदाचार पालन में दंभ का अभाव—महापुरुषों का स्वभाव होता है।