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June 1981

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“ये सन्तुष्टाः श्रुतिपरा महात्मान्ते महाबलाः। धर्म्म पंथानमारूढ़ास्तानु पास्व पृच्छ च॥

‘‘धर्म मार्ग पर चलने में यदि कोई शंका, सन्देह उत्पन्न हो तो वेदाभ्यासी, महात्मा, संतोषी शक्ति सम्पन्न जिनका जीवन ही धर्माचरण पर आधारित है उनका आश्रय और मार्गदर्शन प्राप्त कर धर्म में प्रवृत्त हों।”


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