-यदि धन के लिए परिश्रम करने की आवश्यकता नहीं है तो भी स्वास्थ्य के लिए परिश्रम किया जाय।
-परिश्रम ही स्वस्थ जीवन का मूल मन्त्र है।
-जुगनू जब बैठा होता है तब नहीं चमकता। उसी प्रकार जब मनुष्य आलसी-अकर्मण्य हो जाता है तो उसकी बुद्धि का दीपक बुझ जाता है।