मनुष्य ही नहीं मनुष्येत्तर प्राणियों का जीवन भी जिस प्रमुख क्रिया पर निर्भर करता है वह है श्वसन प्रक्रिया। साँस के साथ ही जीवन का आरम्भ होता है और जीवन का समापन भी साँस बंद होने के साथ ही हो जाता है। साँस को जीवन का चिह्न कहा जा सकता है। साँस के साथ-साथ जीवन के लिए यह भी आवश्यक है कि साँस ठीक प्रकार से ली जाए। स्वास्थ्य रक्षा के लिए सही तरीके से श्वास लेना उससे भी ज्यादा आवश्यक है जितना कि पौष्टिक भोजन और स्वच्छ पानी।
अन्य प्राणी तो नैसर्गिक ढंग से साँस लेते हैं। यह विडम्बना मनुष्य के साथ ही जुड़ी हुई है कि उसने अपने रहन-सहन के अन्यान्य तौर तरीकों के समान श्वास लेने की प्रक्रिया को भी बिगाड़ लिया है और उसका ढंग गलत कर लिया है। जीवन का आधार प्राण धुरी ही जब लड़खड़ाई हुई हो तो स्वास्थ्य और पुष्टि किस आधार पर बनी रह सकती है? अच्छे स्वास्थ्य के लिए सही ढंग से श्वास लेना कितना आवश्यक है, इसके लिए श्री थामस वोंस ने 48 वर्षों तक वैज्ञानिक अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है कि चिर-यौवन के लिए सही श्वसन अत्यन्त आवश्यक है। वस्त्रों के बारे में उदासीनता, अतीत की अधिक चर्चा, भुलक्कड़पन, हंसने की प्रवृत्ति का अभाव, गरदन का आगे की ओर झुकना, कदमों की दृढ़ता का ह्रास, वजन बढ़ना इत्यादि चिह्न बुढ़ापा आने के संकेत है। लेकिन असमय बुढ़ापे के चिन्ह दिखने का कारण यह है कि श्वसन-क्रिया की ओर जागरूक रूप से ध्यान नहीं दिया गया।
करीब अस्सी वर्ष की अवस्था में पहुँच जाने के बाद भी थामस वोंस का शरीर यौवन युक्त है। आँखों की कमजोरी और स्नायविक तनाव से वे सर्वथा मुक्त हैं। अपने लंबे अनुभव के आधार पर वे श्वसन संबंधी निम्न व्यायाम प्रतिदिन करने की सलाह देते हैं-
“पहले आराम से पीठ के बल दाहिनी ओर थोड़े झुकाव के साथ लेट जाइये। मध्यपट से दो हल्की साँसें लीजिये। साँस को तीन सेकेंड तक रोकिये, फिर धीरे-धीरे बाहर निकालिये। साँस निकालते समय ध्यान कीजिये कि आप साँस को नीचे की ओर फेंक रहे हैं।
साँस निकालते समय अपने पूरे शरीर पर ध्यान केन्द्रित कीजिए और कल्पना कीजिए कि आपका शरीर बेतरह भारी होता जा रहा है। श्वास खींचने में जितना समय आप लगाते हैं उसका चौगुना समय निकालते समय लगाइये। श्वास निकालते समय यह कल्पना कीजिये कि अपने अति वजन के कारण आपका शरीर बिछावन में धंसा जा रहा है। इस श्वसन क्रिया और शिथिलीकरण में दो मिनट का समय लगाइये। परन्तु इस प्रक्रिया के साथ-साथ यह भावना करते रहें कि आपका शरीर नवीन प्राण से अनुप्राणित हो रहा है। इस व्यायाम की दस बारह आवृत्तियाँ करके गहरी नींद में सो जाइये।
प्रतिदिन जब आप टहलने जांय तो लगभग आधे घण्टे नाक से सरलतापूर्वक श्वास खींचें और बलपूर्वक मुँह से अधिकाधिक श्वास निकालें। इस तरह से आपके रक्त कोष तथा मस्तिष्क को अधिक से अधिक ऑक्सीजन की उपलब्धि तथा अवाँछित जलीय तथा गैसीय कूड़े का निष्कासन होगा।
इस प्रकार अपने श्वास-प्रश्वास के ढंग को सुधार कर कोई भी व्यक्ति दीर्घकाल तक स्वस्थ और युवक बना रह सकता है।