प्रयत्नाद्यतमानस्तु योगी सशु़द्धकिल्विषः।अनेक जन्म संसिद्धस्ततो याति पराँ गतिम्॥-गीता
योगी लगातार प्रयत्न करता हुआ धीरे-धीरे सारे पापों को धोकर अनेक जन्मों की सिद्धि के अनन्त परमगति को पाया जाता है।