Quotation

April 1980

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

प्रयत्नाद्यतमानस्तु योगी सशु़द्धकिल्विषः। अनेक जन्म संसिद्धस्ततो याति पराँ गतिम्॥ -गीता

योगी लगातार प्रयत्न करता हुआ धीरे-धीरे सारे पापों को धोकर अनेक जन्मों की सिद्धि के अनन्त परमगति को पाया जाता है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles