“ कालो न यातो वयमेव याता-स्तृष्णा न जीर्ण वयमेव जीर्णः । -वेराग्य शतक
काल समाप्त न हुआ, जीवन समाप्त हो चला वृद्धावस्था आ गई, किन्तु हा हेत ! तृष्णा अभी भी न छूटी। “‘
“‘ तप का फल है- प्रकाश और ज्ञानै। - वेदव्यास