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April 1980

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“ कालो न यातो वयमेव याता- स्तृष्णा न जीर्ण वयमेव जीर्णः । -वेराग्य शतक

काल समाप्त न हुआ, जीवन समाप्त हो चला वृद्धावस्था आ गई, किन्तु हा हेत ! तृष्णा अभी भी न छूटी। “‘

“‘ तप का फल है- प्रकाश और ज्ञानै। - वेदव्यास


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