“भय और सन्देह से समाज में कटुता, तनाव और विक्षोभ का वातावरण फैलता है। एक व्यक्ति दूसरे के प्रति, एक जाति दूसरी जाति के प्रति और एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के प्रति अनायास ही शत्रु होते चले जाते हैं। अभय का विकास हो तो बहुत सारी सामाजिक कठिनाइयाँ स्वतः समाप्त हो जाती हैं।”
—आचार्य तुलसी