VigyapanSuchana

January 1971

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युग सन्धि की बेला में प्रज्ञा अभियान को गतिशील करने के लिए उनके केन्द्र संस्थानों की स्थापना का उपक्रम पिछले वर्ष उत्साहपूर्वक चला है। छोटी बड़ी स्थापनाएँ 2400 के लगभग बन पड़ी है। ऊपर से देखने में यह मझोले देवालय समझे जा सकते हैं, पर वस्तुतः इन्हें जन जागृति का केन्द्र माना जाना चाहिए। देव प्रतिमा की स्थापना एवं पूजा परिचर्या का क्रम अन्य देवालयों जैसा होते हुए भी उनकी विशेषता यह है कि सृजन और सुधार की दस सूत्री योजना बनाकर यह सभी संस्थान अपने अपने निर्धारित कार्यक्षेत्र में निरन्तर कार्यरत रहेंगे।


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