भीतवत्संविधातव्यं यावद् भयमनागतम्। आगतं तु भयं दृष्ट्वा प्रहर्तव्यमभीतवत्॥
जब तक भय का कारण आ न पहुँचे तब तक उससे डरते रह कर बचने का उपाय करते रहना चाहिए, किन्तु जब वह सिर पर आ ही पहुँचे तो उसे निडर होकर मार भगाना चाहिये।