एक वर्ष के लिए नव-जीवन कला एवं उद्योगों की तथा चार महीने के लिए साधना तथा धर्म प्रचारक का प्रशिक्षण ज्येष्ठ का दूसरा शिविर समाप्त होते ही आरम्भ हो जायेगा। इन प्रशिक्षणों में सम्मिलित होने वाले सज्जन दिनांक 8 जून से आरम्भ होने वाले दूसरे शिविर का भी लाभ उठा सकें, इस दृष्टि से उन्हें दिनाँक 7 जून को ही मथुरा आ जाना चाहिये।
आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन यह चार महीने चातुर्मास साधना के हैं। इनमें गायत्री तपोभूमि में रह कर कई अनुष्ठान किये जा सकते हैं। इसी अवधि में गोवर्धन परिक्रमा, ब्रज परिक्रमा, झूलों के मेले, जन्माष्टमी उत्सव, बलदेव-जयन्ती, रामलीला, विजय-दशमी आदि ब्रज के प्रसिद्ध एवं मनोरंजक उत्सव आयोजन होते हैं, जिन्हें देखने लाखों व्यक्ति देश भर से आते हैं। आमतौर से सभी व्यवसाय वर्षा में हल्के रहते हैं। जिन्हें घर में थोड़ा अवकाश हो, जिनकी छुट्टियाँ बाकी हों वे चार महीने के लिए मथुरा आने का प्रयत्न करें।
इस चार महीने की अवधि में प्रवचन करने की शिक्षा विशेष रूप से दी जायेगी। गीता और रामायण के माध्यम से आत्म-कल्याण और समाज-निर्माण के तथ्यों को समझने और प्रतिपादित करने की आवश्यक क्षमता उत्पन्न की जायेगी। इसी अवधि में षोडश संस्कारों का कराना, पर्व और त्यौहारों का मनाना, छोटे बड़े गायत्री यज्ञों का कराना जैसे सभी आवश्यक धार्मिक कर्मकाण्डों की रीति-नीति भली प्रकार सिखा दी जायेगी। नव-निर्माण के लिए रचनात्मक कार्यक्रमों को गतिशील बनाने का प्रशिक्षण भी इसी अवधि में पूरा करा दिया जायेगा। जिन्हें अवकाश मिल सके उन्हें इस चातुर्मास प्रशिक्षण में सम्मिलित होने का प्रयत्न करना चाहिये। स्वीकृति समय से पूर्व यथासम्भव जल्दी ही प्राप्त कर लेनी चाहिये।
एक वर्ष का प्रशिक्षण संजीवन विद्या का है। जीवन में कैसे जियें? जीवन की विभिन्न समस्याओं और उलझनों का कैसे हल करें? प्रगति के पथ पर अग्रसर कैसे हों? भौतिक एवं आध्यात्मिक उत्कर्ष का आनन्द कैसे लें? विभिन्न विघ्न-बाधाओं से कैसे लड़ें? सफल गृहस्थ कैसे बनें? आंतरिक अशांतियों से छुटकारा कैसे पायें? जीवनोद्देश्य कैसे पूरा करें? जैसी महत्वपूर्ण जीवन समस्याओं पर सुव्यवस्थित अध्यापन और मार्गदर्शन का प्रवेश इस प्रशिक्षण में सन्निहित है। ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर ऐसा सर्वांगपूर्ण शिक्षण क्रम यह अपने ढंग का अनोखा है। आशा की जानी चाहिये कि इस शिक्षा को प्राप्त करके जो जायेंगे वे एक प्रखर व्यक्तित्व जीवन जी सकने का लाभ प्राप्त करेंगे।
साथ में आर्थिक स्वावलंबन की दृष्टि से कई महत्वपूर्ण उद्योग भी सिखाये जाते हैं। जैसे (1) प्रेस व्यवसाय, (2) बिजली विज्ञान के आवश्यक सभी शिल्प, (3) रेडियो, ट्रांजिस्टरों की मरम्मत तथा निर्माण, (4) घड़ी-साजी, (5) हर तरह के साबुन बनाना, (6) मोजे, बनियान, स्वेटर आदि मशीनों से बुनना, (7) प्लास्टिक के फाउन्टेन-पैन, पेंसिलें, बटन आदि बनाना, (8) चश्मों के हर नम्बर के लेंस तैयार करना, (9) तरह-तरह के खिलौने बनाना, (10) घर में काम आने वाले लगभग सभी शिल्पों तथा मरम्मतों की शिक्षा- गृह-शिल्प आदि-आदि यह सभी उद्योग ऐसे हैं जिनके आधार पर कोई भी व्यक्ति सहज ही आर्थिक दृष्टि से स्वावलंबी हो सकता है और अच्छी आय कर सकता है।
एक वर्ष के लिए यह प्रशिक्षण प्राप्त कर कोई भी नवयुवक जीवन में आशाजनक सफलता प्राप्त कर सकेगा। एक वर्ष के लिए फेल होने जैसे खतरा उठा कर भी इस शिक्षा प्राप्त करना चाहिये। स्कूलों की पढ़ाई तो इस शिक्षा के बाद भी जारी रखी जा सकती है।
चार महीने और एक वर्ष वाले प्रशिक्षण के लिए जिन्हें आना हो, वे नियमावली मँगालें और आवेदन-पत्र भेज कर स्वीकृति प्राप्त करें।