मनुष्य होकर जो दूसरों का उपकार करना नहीं जानता उसके जीवन को धिक्कार है। उससे धन्य तो पशु ही हैं जिनका चमड़ा तक (मरने पर) दूसरों के काम आता है। -अज्ञात