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April 1967

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मनुष्य होकर जो दूसरों का उपकार करना नहीं जानता उसके जीवन को धिक्कार है। उससे धन्य तो पशु ही हैं जिनका चमड़ा तक (मरने पर) दूसरों के काम आता है। -अज्ञात


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