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September 1965

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उपवास और प्रार्थना के समान शक्तिशाली वस्तु दुनिया में और कोई नहीं है। उनसे हमारे जीवन में आवश्यक अनुशासन पैदा होता है। आत्मत्याग की भावना बढ़ती है तथा नम्रता और संकल्प की दृढ़ता उत्पन्न होती है।

-महात्मा गान्धी


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