इस स्थूल शरीर के लिये स्वास्थ्य का सुझाव दो और वह शरीर निश्चय ही स्वस्थ हो जायगा। इस कारण शरीर को ईश्वरीय चेतना से भरने का संकल्प करो और मनुष्य निश्चय ही भविष्य-वक्ता बन जाएगा। यदि इसमें गुलामी और कमजोरी के विचार आयेंगे तो यह स्थूल शरीर निश्चय ही कमजोर और गुलाम बन जायगा। मनुष्य बनाई हुई वस्तुओं का स्वयं कारीगर है जितना कि वह अपने शरीर के लिये सभी वातावरण में उत्तरदायी है।
-स्वामी रामतीर्थ