भलाई की शक्ति मर नहीं सकती?

February 1962

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यह ठीक है कि आज कतिपय कारणों से अनीति और गुण्डागर्दी की दुष्प्रवृत्तियाँ एक चिन्ताजनक मात्रा में मौजूद हैं और भीतर ही भीतर बढ़ती एवं फैलती भी जाती हैं पर यह नहीं सोच लेना चाहिए कि सचाई, सेवा, महानता, उदारता, दया, सेवा एवं सदाचार जैसी सत्प्रवृत्तियाँ तथा धैर्य, साहस, पुरुषार्थ एवं शौर्य जैसे सद्गुणों की सर्वथा कमी है। मनुष्य की आत्मा में जो श्रेष्ठता है वह कभी मर नहीं सकती जो प्रकाश है वह कभी बुझ नहीं सकता। इसलिए पूर्ण रूप से कोई व्यक्ति या समाज बुरा नहीं हो सकता।

मनुष्य जाति में फैली हुई दुष्प्रवृत्तियों के प्रति सावधान रहना चाहिए और उनका उन्मूलन करने के लिए सतत प्रयत्न करना चाहिए। साथ ही जहाँ सत्प्रवृत्तियों के अंकुर जम रहे है उन्हें सींचने, खाद लगाने एवं रखवाली करने का प्रयत्न करना चाहिए। दैवी और आसुरी दोनों ही प्रवृत्तियाँ मनुष्य में रहती हैं इनमें से यदि असुरता बढ़ जाती है तो सर्वत्र अशान्ति एवं आपत्तियों की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और यदि देवत्व पनपने लगे तो इसी भूमि पर सुख−शान्ति का ऐसा वातावरण उत्पन्न हो जाता है कि स्वर्ग जैसी आनन्द दायक स्थिति हमारी आँखों के आगे उपस्थित हो जाय। आज बुराई बढ़ रही है और अच्छाई मुरझा गई है। इसीलिए चारों ओर नारकीय वातावरण उत्पन्न होता जाता है। इसे बदलने का प्रयत्न किया जाय, बढ़ी हुई असुरता को मिटाने और बीज रूप से सर्वत्र प्रस्तुत अच्छाई को सींचने का प्रयत्न किया जाय तो युग ही बदल सकता है। हमें इसी पर विचार करना है और यही सब करने के लिए तत्पर होना है। पिछले पृष्ठों पर बढ़ती हुई बुराइयों के समाचारों का दिग्दर्शन कराया गया अब आगे के पृष्ठों पर भलाई की सजीव शक्तियों का परिचय देने वाली गत डेढ़ वर्ष की खबरें प्रस्तुत करेंगे।

दूसरों के दुख को अपना दुख समझने वाले

दूसरों के दुख दर्द को अपना दुख दर्द समझने वाले उदार लोगों की इस दुनियाँ में कमी नहीं है। इन्दौर यशवन्त अस्पताल में 64 व्यक्तियों ने अपनी आँखें नेत्रहीनों के लिए दान दी हैं जिनमें से 50 का उपयोग आपरेशन करके अंधों को दृष्टिवान बनाने के लिए कर भी लिया गया। इन्दौर में मानव रक्त कोष में रक्त दान का अभियान भी आशाजनक प्रगति कर रहा है। लोगों ने 3, 60, 300 सी. सी. रक्त अपने शरीरों से निकलवा कर उन रोगियों के लिए दिया है, जिनकी इसके बिना प्राण रक्षा हो सकनी कठिन थी।

नैलोर जिले में गुण्टूर के एडवोकेट श्री एम. बी. नरसिंहराव अब तक ब्लडबैंक को 40 बार अपना रक्त दान कर चुके हैं—लेकिन फिर भी उन्हें सन्तोष नहीं हुआ। अब उन्होंने उस्मानिया जनरल अस्पताल हैदराबाद के नाम एक वसीयत की है कि मृत्यु के बाद उनका शरीर विद्यार्थियों की शिक्षा के निमित्त चीरफाड़ के लिए और आँखें किसी जरूरतमन्द को देने के लिए प्रयोग की जावें।

नौगाँव (बुन्देलखण्ड) के सिविल सर्जन डा. रुद्रदत्त खरे ने, गर्भाशय फट जाने के कारण एक मरणासन्न महिला को अपना एक पौण्ड खून दान करके रोगिणी को बचा लिया। रोगिणी के घरवालों में से जब कोई रक्त दान के लिए तैयार न हुआ तो डाक्टर स्वयं ही इसके लिए तैयार हो गये। वे पहले भी एकबार एक असाध्य रोगी को इसी प्रकार एक पौण्ड खून दे चुके हैं।

नागपुर मेडिकल कालेज में एक 60 वर्षीय वृद्ध की आँखें एक तीस वर्षीय युवती की आँखों में लगा दी गईं। युवती की आँख पाँच वर्ष की आयु में ही चेचक से चली गई थी अब वह वृद्ध की आँखें पाकर पुनः देखने लग गई है।

जिन्हें कर्तव्य प्राण से प्रिय लगा

राष्ट्रपति ने अदम्य साहस और कर्त्तव्यपरायणता के लिए पठानकोट के फायरमैन श्री लाल सिंह को पुलिस और अग्नि सेवा का वीरता−पदक प्रदान किया है।

प्रशस्ति में बताया गया है कि पठानकोट रेलवे स्टेशन के समीप, जहाँ गोला-बारूद रखा जाता है, माल−डिब्बे से अस्त्र−शस्त्र उतारते समय गोला−बारूद और अन्य विस्फोटक पदार्थों में भयानक विस्फोट हुआ। विस्फोट से तीन माल−डिब्बे उड़ गए और दो बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए। बहुत से आदमी मरे और कई बुरी तरह घायल हुए। अग्नि ज्वाला धधक उठी और पास के सरकारी गोदामों के लिए खतरा पैदा हो गया। चारों तरफ विस्फोटक पदार्थ बिखर गया। पूरे क्षेत्र की सम्पत्ति और जन−जीवन को भयानक खतरा उपस्थित हो गया। इस विकट परिस्थिति में मजदूर फायरमैन श्री लालसिंह ने अपनी जान जोखिम में डालकर आग बुझाने वाले पम्प से आग बुझाना शुरू किया। श्री लालसिंह के साहस और वीरता से प्रभावित होकर अन्य लोग भी आग बुझाने के लिए दौड़ पड़े और आग पर काबू पा लिया। श्री लालसिंह के अदम्य साहस और कर्त्तव्यपरायणता से जन−जीवन और सरकारी सम्पत्ति नष्ट होने से बचायी जा सकी।

नागौद में अमरन नदी में भीषण बाढ़ के परिणामस्वरूप कई घरों को नुकसान पहुँचा। एक 18 वर्षीय लड़का भी उसमें बह गया, लेकिन उसको बचाने की हिम्मत किसी में नहीं हुई लड़का आगे एक टीले में अटक गया था। पता चला है कि दो युवकों—व्रजराजसिंह तथा वीरेन्द्र प्रतापसिंह ने अपनी जान हथेली पर रख उस लड़के को बचा लिया। नगर की जनता ने उन्हें इस कृत्य के लिए बधाई दी और उनकी प्रशंसा की।

राष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश के कांस्टेबल, स्व॰ आनन्द बल्लभ को उनकी वीरता और साहस के लिए पुलिस पदक दिया है। श्री आनन्द बल्लभ ने एक डूबते व्यक्ति को बचाने में अपनी जान गँवा दी थी। बताया जाता है कि 28 नवम्बर, 1958 को कांस्टेबल आनन्द बल्लभ उत्तर प्रदेश के बदायूँ जिले की कोतवाली मेला ककेड़ा के घाट पर तैनात थे। उन्होंने एक व्यक्ति रामपालसिंह को गंगा में डूबते हुए देखा। श्री आनन्द बल्लभ तुरन्त नदी में कूद पड़े। रामपालसिंह ने बहुत कसकर आनन्द बल्लभ सिंह को पकड़ लिया, जिससे दोनों के दोनों पानी में बहुत गहरे चले गए। दोनों की बहुत से मल्लाहों ने काफी देर तक तलाश की, लेकिन कुछ सफलता नहीं मिली। कुछ देर बाद रामपालसिंह घटना स्थल से करीब आधा मील पर बहता पाया गया उसे अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसकी मृत्यु हो गई। दुबारा तलाश करने पर भी कांस्टेबल आनन्द बल्लभ का शव नहीं मिला।

दान और उदारता

भोपाल के पास चौहारियाबाई नामक एक गरीब विधवा ने अपना सवत्त्व गाँव में लड़कियों का स्कूल बनाने के लिए दान कर दिया। विधवा ने 1500 मूल्य के जेवर तथा नकदी एवं 700 की जमीन मध्य प्रदेश के उपमन्त्री श्री एम. पी. दुबे के गाँव पधारने पर उन्हें सौंप दी और मकान पशु आदि बेचकर 5000 रु. और भी देने का वायदा किया। विधवा ने इच्छा प्रकट की कि उसके जीवन में ही कन्या स्कूल बन जाय। मन्त्री महोदय विधवा के इस सर्वस्व दान पर भाव विभोर हो उठे। उनने सरकार की ओर से 3000 रु. देने की तत्काल घोषणा की और स्कूल बनवाने की व्यवस्था हो गई।

राँची मेडिकल कालेज अस्पताल में मातृ सेवा सदन खोलने के लिए श्री. एम. बख्शी ने 25 हजार रुपये का दान दिया है। जोधपुर जिले के मघानियाँ गाँव की एक वृद्ध महिला यशोदा देवी ने अपने पुत्रों को कसम दिलाई कि वे उसके मरने के बाद उसका मोसर (मृत्यु भोज) न करें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने 18 हजार रुपये का एक मकान खरीद कर स्थानीय कन्या पाठशाला को दान कर दिया। देवबन्द (सहारनपुर) में जन्मे और कलकत्ता निवासी श्री आनन्द प्रकाश अग्रवाल ने अपने पिताजी की स्मृति में 50 हजार रुपया स्थानीय कन्या विद्यालय के लिए दिया है।

हम से तो पशु−पक्षी अच्छे

यह उदारता, सेवा और दयालुता की सत्प्रवृत्ति पशु−पक्षियों और निम्नश्रेणी के जीव−जन्तुओं में भी पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है। मनुष्य जो अपने को सृष्टि का श्रेष्ठ प्राणी मानता है केवल इसी आधार पर बड़प्पन प्राप्त करने का अधिकारी हो सकता है कि उसके विचार और कार्य अन्य जीवों से अधिक धर्म, सदाचार एवं नीति पूर्ण हों। जिनमें यह विशेषताऐं नहीं हैं उन नर−पशुओं से वे साधारण पशु श्रेष्ठ माने जायेंगे जिनमें नैतिकता प्रेम, हिम्मत, सेवा एवं सहायता की प्रवृत्ति अधिक मात्रा में पाई जाती है।

संगरूर जिले के अमरगढ़ नामक गाँव में एक अलसेशियन स्वामिभक्त कुत्ते ने अपने मालिक की चिता में जल कर जान दे दी। बताया जाता है कि उसके मालिक की ट्रैक्टर की पैट्रोल की टंकी में जलने से मृत्यु हो गई। कुत्ता शवयात्रा में साथ−साथ रहा जब उसके मालिक की चिता में आग लगाई गई तो उसने उसमें कूदने की कोशिश की, परन्तु लोग उसे बाँध कर गाँव ले आए। थोड़ी देर बाद कुत्ता गाँव से भाग खड़ा हुआ और उसने जलती चिता में कूदकर अपने प्राण दे दिए।

मेरठ के साम्प्रदायिक दंगे में एक स्वामिभक्त कुत्ते ने अपने मालिक के साथ ही जान दे दी। शाहमीर दरवाजा क्षेत्र में एक रिक्शा चालक अपने रिक्शे को ले जा रहा था; और उसी के साथ उसका कुत्ता भी चल रहा था। रास्ते में एक व्यक्ति ने रिक्शा चालक पर छुरे से वार किया। कुत्ते ने जब अपने मालिक को विपत्ति में देखा तो वह आक्रमणकारी पर झपट उठा। इस पर आक्रमणकारी ने कुत्ते पर भी ऐसा घातक प्रहार किया कि वह वहीं मर गया।

हांसी के निकटवर्ती ग्राम सिसाय से प्राप्त एक समाचार में बताया गया है कि वहाँ एक किसान के प्राणों की रक्षा एक बन्दर की बुद्धिमानी के फलस्वरूप ही हो पाई। घटना इस प्रकार बताई जाती है कि एक किसान अपने खेत में पड़ा हुआ सो रहा था। उसी समय एक साँप द्रुतगति से उसकी ओर बढ़ कर आने लगा। एक बन्दर भी समीप ही बैठा हुआ इस दृश्य को देख रहा था। उसने जब साँप को किसान की ओर बढ़ते हुए देखा तो खों−खों करके उसे जगा दिया। जागने के बाद किसान ने भाग कर अपने प्राणों की रक्षा करने में सफलता प्राप्त कर ली।

प्रेम और ममता

सहपऊ (मथुरा) का समाचार है कि एक बन्दरिया ने एक बिल्ली का बच्चा पाल लिया है। बच्चा कहीं अरक्षित जगह में पड़ा उसे मिल गया था। बन्दरिया ने दया वश उसे उठा लिया और अपना दूध पिलाकर पालना आरम्भ कर दिया। बच्चा बिलकुल स्वस्थ है। बन्दरिया उछलते-कूदते समय बच्चे को मुँह और हाथ की सहायता से पकड़े रहती है। कस्बे में बिल्ली के बच्चे से बन्दर का यह अनोखा प्यार आश्चर्य का विषय बन गया है। दूर−दूर से सैकड़ों आदमी उसे देखने आते हैं।

कपूरथला, तरनतारन से यह दिलचस्प सूचना मिली है कि चकटोबयां नामक गाँव में एक ऊँटनी ने एक बछड़े को अपना दूध पिलाकर पाला है। कहा जाता है कि इस गाँव के सरपंच जैलसिंह की गाय एक बछड़ा छोड़कर मर गई। बछड़ा बहुत छोटा था। सरपंच के पास एक ऊँटनी भी थी, जिसका कोई बच्चा न था। कहते हैं कि बछड़े के प्यार से इस ऊँटनी के स्तनों में दूध आ गया और उसने बछड़े को अपना दूध पिलाना शुरू कर दिया। अब यह बछड़ा ऊँटनी के दूध पर ही पल रहा है। सैंकड़ों लोग ऊँटनी और बछड़े को देखने आते हैं।

लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में आजकल रामू नामक एक बालक पाला जा रहा है। इसे भेड़ियों की माँद में पकड़ा गया था। वह भेड़ियों की तरह ही गुर्राता, उन्हीं की तरह चलता और कच्चा माँस खाता था। अब इलाज के बाद उसकी आदतें मनुष्य जैसी बनती जा रही हैं। इस बच्चे को एक भेड़िया मादा कहीं से उठा लाई थी उसे दया आ गई और खाने के बजाय उसे अपना दूध पिलाकर पाल लिया था। अन्त में शिकारियों द्वारा माँद में यह बालक पकड़ा गया। अठसैनी का समाचार है कि छोटे जन्तुओं द्वारा भी अपने साथी की सहायता करने का एक दृश्य यहाँ तब देखने को मिला जब तक चूहे ने अपने साथी चूहे को साँप के मुँह से छुड़ा लिया। दर्शकों का कहना है कि एक साँप ने अचानक एक चूहे को पकड़ लिया और वह जैसे ही उसे निगलने वाला था कि अचानक चूहे के दूसरे साथी ने साँप पर पीछे से ऐसा विकट आक्रमण किया कि साँप ने बुरी तरह घायल होकर दम तोड़ दिया। इस प्रकार चूहे ने अपने साथी को मौत के मुँह में जाने से बचा लिया।

सागर जिले के रहली नामक स्थान से गायों और तेंदुए के बीच युद्ध होने और वन्य−पशुओं के भाग जाने का समाचार मिला है। बताते हैं कि रहली के निकटवर्ती जंगल में जब कुछ गायें घास चर रही थीं तभी अचानक एक बछड़े पर तेंदुए ने हमला किया और उसे अपने पंजे में जकड़ लिया। बछड़े का रंभाना और करुणापूर्ण चीखें सुनकर उसका माँ और अन्य गायें एक साथ तेंदुए पर टूट पड़ीं। गायों के पैने सींगों की मार के आगे तेंदुआ टिक न सका और दुम दबाकर भाग खड़ा हुआ और बछड़े की जान बच गई।

बंगाली मार्केट नई दिल्ली का समाचार है कि एक समझदार कुत्ते ने एक लड़की की इज्जत बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। कहा जाता है कि लड़की स्कूल से लौट रही थी कि एक बदमाश ने लड़की को किसी बहाने पास के घर में बुला लिया और बलात्कार करना चाहा। लड़की चिल्लाई। यह सब करतूत पास ही खड़ा एक कुत्ता देख रहा था वह बदमाश पर झपटा और उसे काटकर घायल कर दिया। शोर सुनकर पड़ौसी आ गये और बदमाश पकड़ लिया गया।

उप−रेलमन्त्री ने एक प्रश्न का उत्तर देते हुए लोकसभा में बताया कि अपराधों का पता लगाने के लिए दक्षिणी रेलवे ने कुत्तों का एक दस्ता तैयार किया है। छह महीने में यह कुत्ते 4500 की चोरी का पता लगाकर अपराधियों को गिरफ्तार भी करा चुके हैं।

उप−कृषिमंत्री ने राज्य सभा में बताया कि हिसार के पशु−पालन फार्म में विभिन्न प्रकार के एक हजार बहुमूल्य पशु हैं जिनमें एक गधा ही 60 हजार रुपये का है। जो खच्चर पैदा करने के काम आता है।

मुँगेर जिले के नादियाग ग्राम में केले के वृक्ष से लटकते हुए साँप की पूँछ पकड़ कर मुसाहार तेली ने अपनी जान बचाई। नदी की आकस्मिक बाढ़ में गाँव के 83 व्यक्ति तो बह कर मर गये पर बहते हुए मुसाहार के हाथ साँप की पूँछ पड़ गई उसी के सहारे वह रुका रहा और प्रयत्न करके किनारे भी आ गया। साँप ने आपत्तिजनक तेली पर दया दृष्टि रखी और उसे काटने की अपेक्षा सहायता करना ही उचित समझा।

यह समाचार हमको यह विचार करने के लिए विवश करते हैं कि हमारी वर्तमान नैतिक स्थिति एवं मनोभूमि क्या इन निम्न श्रेणी के समझे जाने वाले जीव−जन्तुओं की अपेक्षा किसी प्रकार ऊँची है? और क्या हम अपने को उनसे श्रेष्ठ कहने के अधिकारी रह गये हैं?


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