नारी क्या इसी प्रकार सताई जाती रहेगी?

February 1962

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हमारा सामाजिक जीवन दाम्पत्य जीवन से आरम्भ होता है। पति−पत्नी के बीच जितने प्रेम, सौजन्य, आत्म−भाव, आत्म−समर्पण एवं वफादारी के भाव रहेंगे उतना ही गृहस्थ जीवन आनन्दमय होगा। और उसी अनुपात से श्री, समृद्धि एवं शान्ति बढ़ेगी। धर्म की आरम्भिक शिक्षाओं में नारी को पूज्य, पवित्र, श्रेष्ठ एवं सम्मानास्पद माना गया है और कहा गया है कि जहाँ नारी की पूजा होगी वहीं लक्ष्मी का निवास होगा। सभी दृष्टियों से विचार करने पर नारी को प्रसन्न एवं संतुष्ट रखना पुरुष का परम पवित्र कर्त्तव्य माना गया है । नारी को गौ के समान अवध्य माना गया है। उस पर हाथ उठाने वाले को कापुरुष एवं नारकीय कीट बताया गया है। कोई भूल भी उससे होती हो तो उसे उदारतापूर्वक क्षमा करने एवं प्रेम के साथ सुधारने की ही भारतीय परम्परा रही है। बड़ी आयु की हो जाने पर भी नारी को भोली कन्या, ममतामयी माता एवं स्नेहसिक्त भगिनी के रूप में ही देखना उचित माना गया है । धर्म पत्नी के रूप में तो वह साक्षात लक्ष्मी का रूप धारण करके ही घर में विराजती है।

खेद है कि आज उसका दर्जा पशुओं सरीखा हो रहा है। जरा−जरा सी बात पर लोग उसे सताते एवं तिरस्कृत करते हैं। इतना ही नहीं कितने ही नर−पिशाच तो उसका रक्त पान करके ही अपनी दानवी दुष्टता को शान्त करते हैं। विवाहिता वधुओं का ससुराल के लिए आत्म−त्याग करना एक अलौकिक कार्य है। इसका बदला चुकाने के लिये ससुराल वाले उसके प्रति जितनी भी कृतज्ञता प्रकट करें, जितना भी सम्मान एवं स्नेह करें उतना ही कम है। पर आज वह सौजन्य जहाँ−तहाँ ही देखने को मिलता है। बहू के आत्मसमर्पण सेवा, उदारता एवं कोमल भावनाओं का पहाड़ न देखकर लोग उसकी छोटी−मोटी भूलों को ही बढ़ा−चढ़ाकर देखने लगते हैं और उसे तुच्छ पशु से भी अधिक तिरस्कृत करने में ही नहीं, कई बार उसका खून पीने तक में नहीं हिचकते। ऐसी नृशंसता भरे समाचार आये दिन अखबारों में छपते रहते हैं।

अहंकार और अत्याचार

विजय राघवगढ़ थाने के परसवारा गाँव का समाचार है कि वहाँ एक व्यक्ति अपनी पत्नी को लेने ससुराल में आया और तुरन्त साथ चलने को कहा। पत्नी ने अपने पिता-माता के लौट जाने तक रुकने के लिए कहा क्योंकि वे दोनों बाहर गये हुए थे। पत्नी की यह सलाह पति को सहन न हुई इतनी सी बात पर उसने पत्नी की कुदाली से हत्या कर दी। जबलपुर के गंगा सागर मुहल्ले के रमेश नामक व्यक्ति की उसे घर से बाहर बुलाकर छुरे से हत्या कर दी गई। कहा जाता है कि मृतक ने कुछ दिन पूर्व एक परित्यक्त स्त्री कलावती से विवाह किया था। परित्यक्त का पूर्व पति इसे सहन न कर सका और उसने इस नये पति को ही मार डाला। दिल्ली झण्डेवालान मुहल्ले के ओमप्रकाश को प्रेमवती नामक लड़की को मार डालने के अपराध में आजीवन कारावास की सजा दी है। अभियुक्त लड़की से विवाह करना चाहता था, पर उसका पिता रजामंद न था। पिता का क्रोध उसने लड़की पर निकाला और उसी का कत्ल कर दिया।

लुधियाना के पास बरेबाल गाँव का सुखासिंह अपनी पत्नी की हत्या के अपराध में पकड़ा गया है। बताया जाता है कि उसकी पत्नी खाना लेकर देर में खेत पर पहुँची। इस पर अभियुक्त आग-बबूला हो गया और उसने अपनी पत्नी को भाले से मार डाला। मेरठ के जज ने परमात्मा शरण नामक व्यक्ति को फाँसी की सजा सुनाई। अभियुक्त अपनी विवाहिता पत्नी से पिण्ड छुड़ाकर एक ईसाई नर्स से विवाह करना चाहता था। उसने सोती हुई पत्नी पर तेल छिड़क कर आग लगा दी। इलाहाबाद जिले के भरवारी गाँव में रात को पति− पत्नी में कहा-सुनी हो जाने पर पति ने पत्नी की नाक और वक्षस्थल काट लिए। फगवाड़ा की 25 वर्षीय युवती कैलाश रानी ने अपने मृत्यु बयान में मजिस्ट्रेट के सामने बयान देते हुए कहा— मेरी सास ने मेरे शरीर पर मिट्टी को तेल छिड़क कर आग लगा दी और द्वार बन्द कर दिया। बचने का और कोई उपाय न देखकर मैंने पिछवाड़े के मकान के पीछे छलाँग लगाई अस्पताल में पाँच घंटे उपचार के बाद भी युवती बच न सकी। जलाने का कारण इतना भर बताया जाता है कि वह अपने पति से सास और देवर की शिकायत किया करती थी।

क्रूरता और विश्वासघात

दिल्ली की सदर बाजार पुलिस ने गली बरना के कँवरपाल नामक दर्जी को अपनी 21 वर्षीय पत्नी शकुन्तला की हत्या के अपराध में खून भरी कैंची के साथ गिरफ्तार किया है। बताया जाता है कि शादी को दस वर्ष बीत जाने पर भी उसके कोई बच्चा नहीं हुआ था। इसी बात पर कँवरपाल उससे चिढ़ा रहता था। उस दिन उसने कैंची से उसका गला ही काट डाला। इटावा का समाचार है कि कानपुर से एक युवक के साथ भाग कर आई हुई युवती ने यमुना में कूदकर आत्महत्या करने का असफल प्रयत्न किया। उसका कथित प्रेमी उसे छोड़कर भाग गया था, जिस पर ग्लानि और दुख के कारण घर वापिस न लौटकर उसने आत्महत्या का प्रयास किया, परन्तु घाट पर खड़े लोगों ने उसे बचा लिया । आगरा जिले के अएला गाँव में एक व्यक्ति ने साधारण सी तकरार पर क्रुद्ध होकर तलवार से अपनी गर्भवती धर्म पत्नी को काट डाला । पटियाला जिले के नियामतपुर गाँव से खंडीबाई नामक महिला की हत्या के सिलसिले में उसका सिनेमा शौकीन पति तेजाराम पकड़ा गया है। बताया जाता है कि सिनेमा के लिए पैसे न देने पर दिन में उसने पत्नी को मारा तब तो उसके पिता ने बीच बचाव कर दिया पर रात को उसने सोती हुई स्त्री पर कुल्हाड़ी से वार करके उसे काट ही डाला।

बन्धन और उत्पीड़न की अति

गोरखपुर के दौरा जज ने अलगू, प्यारे और सौतेली माँ तिलका को क्रमशः 6−6 व 4 साल की सजा सुना दी। अभियुक्तों ने अलगू की पत्नी दुखिनी को किसी छोटी−सी बात पर नाराज होकर नंगी करके खाट पर पन्द्रह दिनों तक जंजीरों से बाँधे रखा, भूखा रखा और उन पर उसके गुप्तांग, कपोल, ललाट और नितम्बों को खुरपी गरम करके जलाने का भी अभियोग था। बताया जाता है कि छपरा में एक स्त्री बिना आज्ञा लिए अपनी बहन के यहाँ चली गई इस पर उसके पति और सास ने उसको बाँधकर, लोहे की गर्म सलाखों, हसियें से उसके स्तनों दानों गाल, कानों को दाग दिया। जब भी वह दर्द से चिल्लाती तो पति लाठियों से प्रहार करता। विदित हुआ है कि हिसार जिले के चाम्बन गाँव में एक लड़की का एक युवक से प्रेम था। विवाह की संभावना न देखकर दोनों प्रेमी घर से निकल भागे। लड़की के भाई ने दोनों को पीछा किया और गाँव से कुछ ही दूर उन्हें घेरकर दोनों का कत्ल कर दिया। पुलिस ने हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली के रामलाल नामक व्यक्ति को अपनी पन्द्रह वर्षीय बहिन की हत्या करने के अपराध में पकड़ा गया है कहते हैं कि लड़की अपने इच्छित युवक से शादी करना चाहती थी पर भाई को यह बात मंजूर न थी। क्रुद्ध भाई ने अपनी बहिन को ही मार डाला। खुरजा के निकट पहासू गाँव का समाचार है कि एक कुम्हार युवती लड़की किसी पड़ौसी युवक को प्रेम करने लगी। वह गर्भवती हो गई तो अपने प्रेमी के साथ गाँव छोड़कर अन्यत्र जाने लगी। घर वाले उसे पकड़ लाये और रात को उसके माँ बाप ने ही उसका कत्ल कर दिया और खुद कुँए में कूद पड़े। कुम्हारिन तो मर गई पर कुम्हार जीवित बच गया।

दहेज की बलिवेदी पर

कन्या जैसे अमूल्य रत्न को प्राप्त करने में जहाँ ससुराल वालों को अपना सौभाग्य मानना चाहिए वहाँ वे उलटे यह मानते हैं कि हमने किसी की बेटी को अपने घर में लेकर उसके साथ बड़ा उपकार किया है। इस उपकार के बदले में वे आये दिन बेटी वालों पर अपनी ऐंठ दिखाते रहते हैं और दहेज के रूप में बढ़ी−चढ़ी रिश्वत माँगते हैं। माँगते ही नहीं, न मिलने पर अपने घर में आई हुई उस निरपराध बालिका को तरह−तरह से सताते हैं और कई बार तो उसकी जान के ग्राहक ही बन जाते हैं। कोटला मुबारकपुर निवासी बेनी प्रसाद और उसकी माता उमरावती को दिल्ली सैशन जज ने आजन्म कारावास की सजा दी है। इस्तगासे के अनुसार नव−विवाहिता बहू कसला पर उसकी सास उमरावती ने मिट्टी का तेल छिड़का और पति बेनीप्रसाद ने आग लगा दी। अभियुक्त लड़की के पिता से रुपया ऐंठन चाहते थे वह न दे सका तो लड़की को ही इस प्रकार जला डाला। इटावा के कंचौरसी गाँव के एक सेठ के पुत्र ने अपनी पत्नी को घर में बन्द करके निर्दयतापूर्वक पीटते−पीटते कई हड्डियाँ तोड़ दीं। कहा जाता है कि उस स्त्री का पति व ससुर इस बात पर सदा जोर देते रहते थे कि वह अपनी धनी माता के पास से लाकर उन्हें धन दे। उसने लाकर दिया भी। पर जब माँ के पास कुछ न रहा तो उसे उस प्रकार सताया जाने लगा। निराश होकर यह दर्दनाक काण्ड कर बैठा। प्रयाग के अहियापुर मुहल्ले में हनुमान प्रसाद नामक 36 वर्षीय व्यक्ति ने अपने घर की धन्नी में रस्सी बाँधकर फाँसी लगा ली। कहा जाता है कि अपनी दो पुत्रियों के विवाह की विफलता से निराश होकर उसने ऐसा किया। मृतक बहुत गरीब था। एक पंडा की नौकरी करता था। पुत्रियों के विवाह के लिए सब जगह दहेज की माँग की जाती थी जिसकी सामर्थ्य उसमें नहीं थी। इसी प्रकार सीतापुर के एक 40 वर्षीय दुकानदार ने रेल के नीचे कटकर अपने जीवन का अन्त कर लिया। उसकी लड़की युवा हो गई थी पर बेचारा दहेज का प्रबन्ध न कर सका।

कुछ समय पूर्व कलकत्ता की स्नेहलता नामक एक लड़की ने स्वयं आत्महत्या की थी। उसके पास जो पत्र प्राप्त हुआ था उसमें उसने लिखा था कि मेरे माता−पिता दहेज न जुटा सकने के कारण निरन्तर चिन्ता ग्रस्त रहते हैं। उनका दुख मुझसे देखा नहीं जाता । जिस समाज में कन्याओं का यह मूल्य है कि उसे बिना दहेज लिए कोई स्वीकार नहीं कर सकता ऐसे पतित लोगों के बीच जीवित रहने की भी मेरी इच्छा नहीं है, इसलिए मैं स्वेच्छा से आत्मघात करती हूँ।

एक दूसरा रास्ता

कलकत्ता से 12 मील दूर शेवड़ा कुली नामक स्थान में एक व्यक्ति अपनी कन्या का विवाह 45 वर्ष के व्यक्ति के साथ करने जा रहा था। नवयुवकों ने उसे रोका और समान आयु का सुधरे विचार का लड़का ढूँढ़ देने का आश्वासन दिया। लड़की के पिता का कथन है कि वह दहेज देने की असमर्थता के कारण ही ऐसा अनमेल विवाह करने को मजबूर हो रहा था। जावरा क्षेत्र के ग्राम पीपलिया में एक लड़की का विवाह 65 वर्ष के बूढ़े के साथ हुआ है। कन्या का बाप मजबूरी के साथ−साथ लालच का भी शिकार हो गया।

नारी के प्रति हमारा जो अनुदार, संकीर्ण, अहंकार भरा दृष्टिकोण है उसे जितना तुच्छ, हीन और उत्पीड़न के योग्य हम समझते हैं उसमें कितनी मानवता है? यह प्रश्न हमारे मन को यदि झकझोरता नहीं है तो यही मानना होगा कि हमारी अन्तरात्मा मर गई और हम मनुष्यता के साथ रहने वाली आवश्यक भलमनसाहत को छोड़ बैठे। नारी ने नर के आगे आत्मत्याग का जो अनुपम आदर्श रखा है उसका यह अर्थ नहीं होना चाहिए कि उसका मूल्य कुछ भी न समझा जाय, उसे मनमाने ढंग से सताया जाय और इतना बंधन में बाँधा जाय कि वह हिल-डुल ही न सके।

पराधीनताओं के बंधन सब दिशाओं में टूट रहे हैं। नारी की आत्मा भी पूछती है कि उसे मानवोचित सम्मान और स्वातंत्र्य कब मिलेगा? नागरिक अधिकारों से कब तक उसे वंचित रहना पड़ेगा ? और कब उसे वह अवसर प्राप्त होगा कि पिंजड़े में बन्द पक्षी एवं खूँटे से बंधे पशु से उसे कुछ अधिक समझा जाय? वह केवल उपभोग की ही मशीन न समझी जाय वरन् उसे उन्नति एवं प्रगति का भी अवसर मिले। इस स्थिति को लाने के लिए हमें अपने सड़े-गले, क्रूर एवं रूढ़िवादी विचार बदलने पड़ेंगे और वह नैतिक दृष्टि अपनानी होगी जिसके आधार पर पति−पत्नी एक दूसरे के प्रति प्रेम विश्वास, आदर त्याग, सेवा, क्षमा एवं उदारता एवं समानता का व्यवहार करते हुए सच्चे दाम्पत्य जीवन की सुदृढ़ आधारशिला रख सकें।


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