“ऐ मनुष्य, तू मौन को अपना ! शान्त जीवन उन्नति का सूचक है। इतने लम्बे दिन में कम से कम एक घंटा चुप रह। यद्यपि तेरा सारा दिन बेकार और निरर्थक बातों में व्यतीत हो जाता है, तथापि वास्तविकता यह है कि तुम कुछ भी नहीं करते, अर्थात् उचित और मतलब की बात तेरी दैनिक कार्य विधि में एक भी नहीं होती। यदि तुम महान बनना चाहते हो, जिससे तुम्हारी बातों का दूसरों पर कुछ प्रभाव हो, तो थोड़ी देर के लिये अपनी गपबाजियों तथा व्यर्थ की बातों को छोड़ दो और मौन का स्वर्णिम संदेश सुनो।”
-ए॰ एल॰ सामन
क्या तुम निशाना चूक गये हो ? यदि चूक गये हो तो क्या हुआ अब भी तो निशाना चमकता हुआ दिखाई दे रहा है। क्या तुम दूर तक दौड़ते हुए थक गये हो? थोड़ी देर दम ले लो और पुनः प्रयत्न करो।”
-एला वेलर विल काक्स