Quotation

August 1959

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

क्या तुम्हें खेद होता है? क्या तुम्हें इस बात पर खेद होता है कि देवताओं और ऋषियों के लाखों वंशज आज पशुवत् हो गये है? क्या तुम अनुभव करते हो कि अज्ञानता सघन मेघों की तरह इस देश पर छा गई है? क्या इससे तुम छटपटाते हो? क्या इससे तुम्हारी नींद उचट जाती है? क्या यह भावना मानो तुम्हारी शिक्षाओं में से बहती हुई तुम्हारे हृदय की धड़कन के साथ एक रूप होती हुई तुम्हारे रक्त में भिंद गई है? क्या इसके तुम्हें लगभग पागल- बना दिया है? सर्वनाश के दुःख की इस भावना से क्या तुम बेचैन हो? और क्या इससे तुम अपने नाम, यश, स्त्री, बच्चे, संपत्ति और यहाँ तक कि अपने शरीर की भी सुध-बुध भूल गये हो? क्या तुम्हें ऐसा हुआ है? देश-भक्त होने की यही है प्रथम सीढ़ी केवल प्रथम सीढ़ी।

—स्वामी विवेकानन्द


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here: