प्रार्थना से ऐसा बहुत-सी बातें हो जाती हैं, जिनको दुनिया स्वप्न में भी नहीं सोचती। अतः एक झरने के समान रात-दिन अपनी आवाज मेरे लिए ऊपर उठाओ। अन्यथा जो मनुष्य अपने मस्तिष्क के भीतर एक अंधकारमय जीवन व्यतीत करते हैं, वे भेड़ और बकरियों से उत्तम किस प्रकार हो सकते हैं, यदि ईश्वर को जान कर भी वे अपने लिए और अपने मित्रों के हित में प्रार्थना करने को अपने हाथ नहीं उठाते।
—टेनीसन
मेरे विचारों और संकल्पों के मूल स्रोतों की रक्षा करो और मेरी आत्मा को अपने से भर दो।
—विशप केन