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February 1955

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तुलसी भूपथ लीन्हें जनित, सब स्वभाव अनुसार। तुलसी सिखवय नाहिं शिशु, भूसक हनत मजार॥ तुलसी जो करता करम, सो भोगत नहिं आन। जो बोवै सो काटिए, देनी लहर निदान॥ रावन रावन को हनेऊ, दोष राम को नाहिं। निजहित अनहित देख किन, तुलसी आपहि माहिं॥


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