जो किसी से द्वेष नहीं करता, जिसमें अहंकार की मात्रा नहीं और जो विषयों से निवृत्त हो चुका है वही सच्चा विवेकी पुरुष है। -एक विद्वान
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द्वेष करने वाला अपने भोजन को विषाक्त कर देता है और फिर उसे खाता है। -नारायण