नारी पुरुष की अर्धांगिनी है, उसकी सबसे बड़ी मित्र है। धर्म अर्थ काम का मूल है। जो इसका अपमान करता है, काल उसे नष्ट कर देता है।
-महाभारत
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असत्य को बार-बार प्रयोग करते रहने से उसकी आयु बढ़ जाती है। अपनी स्वार्थपरता से असत्य की आयु को बढ़ा देने के समान कोई दूसरा पाप नहीं है। -शरद बाबू
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झूठ बोलना कायरता का चिह्न है। -सदन
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तृष्णा सुख का भयंकर शत्रु है। -नारायण
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तृष्णा ने मनुष्य जाति पर ऐसा अधिकार जमा लिया है कि सम्पत्ति को अपने अधिकार में करने की अपेक्षा लोग सम्पत्ति के अधिकार में हो गये हैं।
-प्लीनी